भोपाल। विवादों में रहने वाले सायबर पुलिस में पदस्थापना पाने के लिए एसएएफ और रेडियो के संवर्ग के अफसरों के साथ ही आरक्षकों में भी होड़ मची हुई है। यहां पर आरक्षकों के लिए स्वीकृत बल से दोगुने आरक्षक तैनात हो गए हैं। जबकि स्पेशल टास्क के लिए काम करने वाले फोर्स एसटीएफ और नक्सल प्रभावित जिले बालाघाट, मंडला में जाने से आरक्षक कन्नी काट रहे हैं। एसटीएफ में स्वीकृत आरक्षकों के बल से 40 फीसदी जगह खाली पड़ी हुई है। यह खुलासा हाल ही में पुलिस मुख्यालय के एक आदेश के बाद हुआ है।  दरअसल पुलिस मुख्यालय ने एक आरक्षक और प्रधान आरक्षकों के अतिशेष होने को लेकर जानकारी मांगी गई।

दिसंबर में आई जानकारी में सायबर मुख्यालय में पदस्थ होने वाले आरक्षकों की संख्या चौकाने वाली सामने आई है। यहां पर आरक्षकों के 61 पद स्वीकृÞत हैं, जबकि यहां पर पदस्थापना 118 आरक्षकों की कर दी गई। यहां पर 57 आरक्षक अतिशेष है। वहीं एसटीएफ में आरक्षकों के बड़ी संख्या में पद खाली पड़े हुए हैं। यहां पर आरक्षकों के 210 पद स्वीकृत है। यहां पर 81 पद खाली पड़े हुए हैं। एसटीएफ में सिर्फ 129 आरक्षक ही तैनात हैं।

सायबर पुलिस का विवादों से हमेशा नाता रहा है। हाल ही में नोएडा पुलिस ने सायबर पुलिस के दो उपनिरीक्षकों को गिरफ्तार किया था। वहीं सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर यहां पर पदस्थ रह चुके अफसरों के खिलाफ लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज हुआ। इस मामले में कुछ अफसरों की विभागीय जांच भी हुई। वहीं दो आईपीएस अफसरों का भी यहां पद पद स्थापना के दौरान विवाद प्रदेश में खासा चर्चित रहा था। जिस मामले को लेकर विवाद हुआ था, बाद में उसकी जांच सीबीआई को सौंपना पड़ी थी।

भोपाल और इंदौर जिलों में आरक्षकों की भारी कमी सामने आई है। इंदौर जिले में 399 आरक्षकों की कमी बनी हुई है। वहीं भोपाल जिले में 183 आरक्षकों की कमी है। उज्जैन जिले में 166 आरक्षकों की कमी है। नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में 198 और मंडला में 31 आरक्षकों की कमी है।

जानकारी में यह भी सामने आया कि ग्वालियर और चंबल जोन में भी आरक्षकों की संख्या स्वीकृत पदों से ज्यादा है। इस जोन में 466 आरक्षक ज्यादा है। अकेले ग्वालियर जिले में ही 402 आरक्षक अतिशेष हैं। जबकि गुना में 48 और अशोक नगर में 19 आरक्षक ज्यादा पदस्थ हैं। वहीं चंबल जोन के दतिया जिले में 185 आरक्षक ज्यादा पदस्थ हैं, यह गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का जिला है। वहीं मुरैना में 154, श्योपुर में 92 और भिंड में 10 आरक्षक ज्यादा हैं।

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