पटौदी खानदान की साहबजादी सारा अली खान हाल में ‘अतरंगी रे’ में बिहारी युवती के रोल में नजर आईं थीं। इन दिनों वो इंदौर में विक्की कौशल के साथ ‘लुका चुप्पी’ फेम लक्ष्मण उत्तेकर की फिल्म शूट कर रही हैं।

माना जा रहा है कि वह ‘लुका चुप्पी’ का सीक्वल है। ‘अतरंगी रे’ को क्रिटिक्स खूब सराहना मिली है। कैसे रिएक्ट करना चाहेंगी? पूछे जाने पर सारा अली खान ने कहा मुझे पता नहीं है कि मैं क्या रिएक्ट करूं मैं आनंद जी (आनंद एल राय) से भी यही बात कर रही थी कि फिल्म के बाद मेरे इंटरव्यूज होने हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या बोलूं मैं बेहद खुश हूं।

वैसे तो मैं शूट कर रही हूं और अपनी पूरी यूनिट के साथ ‘अतरंगी रे’ देखी है। फिल्म उनको भी बहुत अच्छी लगी। वैसे तो सब लोग बहुत अच्छी चीजें बोल रहें हैं, पर मेरे लिए मॉम एंड डैड सबसे अहम हैं। मॉम तो हमेशा थोड़ी इमोशनल रही हैं। पापा हमेशा जेंटलमैन रहे हैं। वो प्यार तो बहुत करते हैं, पर इमोशन दिखाने में जरा कंजरवेटिव हैं। पर इस बार तो कमाल हो गया। उन्होंने फिल्म देख फोन किया। फोन पर वो रो रहे थे। वैसे तो यह जरा सैडिस्टिक साउंड करेगा कि अरे बेटी ने बाप को रुला दिया, मगर मैं शुक्रगुजार हूं, जो मेरी परफॉरमेंस में इतना गहरा असर था। सोशल मीडिया पर मिल रही सराहनाएं नहीं देख पा रहीं, मगर वे स्क्रीनशॉट्स मॉम भेज रही हैं।

मैं उन्हें अपनी स्टोरीज सेक्शन पर शेयर रही हूं। यही कि जो एक्सेप्टेंस और प्यार ‘अतरंगी रे’ को मिला, उससे मैं लालची हो गई हूं। अब मैं यही सब चाहती हूं। मैं ‘केदारनाथ’ और ‘सिंबा’ के बाद शायद भूल गई थी कि जब मीडिया, आॅडियंस, माता-पिता आप के काम को बढावा और प्यार देते हैं तो जो फीलिंग आती है, उसे आप किसी चीज से रिप्लेस नहीं कर सकते हैं। तो मेरा न्यू ईयर रिजॉल्यूशन मेहनत और शिद्दत से काम करना है ताकि तारीफें मिलती रहें। इब्राहिम को बहुत अच्छी लगी। वो मुझे और मॉम को बोल रहे, ‘दैट्स माय सिस्टर’। इब्राहिम से मैं उम्र में तो बड़ी हूं, मगर हम हमउम्र जैसे रहते हैं।

मैं उनके लिए वही गोलमटोल बहन रहूंगी, जो कोलंबिया में पढ़ती थी। मैं फिल्मी साउंड नहीं करना चाहती, लेकिन प्यार होता क्या है वो एक ऐसी चीज होती है, जिससे आप को खुशी मिलती है। जब आप को उसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है तो वह आप के पास होता है। काम से ज्यादा और काम के मुकाबले और किसी से सच्चा प्यार है ही नहीं। इस वक्त तो काम से ही प्यार है। बहुत कुछ कर रहे हैं, मगर बहुत आसान भी है। उन्हें पंजाबी गाने अच्छे लगते हैं और मुझे भी पंजाबी गाने अच्छे लगते हैं। तो बात तो उतने में ही बन जाती है। विक्की के साथ काम कर इतना मजा आ रहा है कि क्या कहूं। वो उम्दा कलाकार और हंबल इंसान हैं। हम सबके कमरों में मिठाई के डिब्बे दिए गए थे। मुझे लगता है, मेरे फादर बहुत सेंसेटिव, वेल रेड, बैलेंस्ड इंसान हैं। उनको दुनिया के बारे में बहुत सी चीजें पता हैं, लेकिन इंसान के भीतर क्या चलता है, उसे भी बखूबी समझते हैं। उनकी ये चीजें न सिर्फ अपने हमसफर, बल्कि खुद के अंदर, अपने भाइयों के अंदर देखना चाहूंगी। ‘अतरंगी रे’ में तो मेकअप के नाम पर सिर्फ बाल लंबे किए हैं और मसकारा लगाया है तो पांच सकेंड लगते थे। मैं मेकअप के दौरान गाने सुन लेती हूं। अपने डायलॉग के बारे में सोचती रहती हूं। वैसे आॅनेस्टली मुझे हेयर, मेकअप में ज्यादा वक्त लगता नहीं।