रायपुर। दिगंबर जैन संत जो अपनी चर्या के लिये विश्वविख्यात हैं, जिनको चर्या शिरोमणी भी कहा जाता है, ऐसे आचार्य भगवन विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ विशाल संघ (22 साधुओं) का संस्कारधानी रायपुर में प्रथम बार ऐतिहासिक चातुर्मास सानंद संपन्न हुआ। पाषाण से भगवान बनाने का उपक्रम पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव 31 अक्टूबर से 04 नवम्बर तक मनाया जाएगा। साधुओं का पिच्छिका परिवर्तन 5 नवंबर को तथा 6 नवंबर को जैनेश्वरी दिगंबर दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया जिसमें बाल बह्मचारी दीक्षा लेंगे।
आचार्य श्रीविशुद्ध सागर जी महाराज ने पत्रकारवार्ता में बताया कि दिगम्बर जैन समुदाय में तीर्थंकर भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है, भगवान तो सिद्धत्व को प्राप्त कर चुके हैं, परन्तु उनके साक्षात प्रतिबिंब भगवान की प्रतिमा पूज्नीय है, इसलिये विभिन्न जिनालयों में तीर्थंकर जिनदेव की प्रतिमा स्थापित की जाती है, रायपुर गोल बाजार स्थित चूड़ीलाईन में 110 वर्ष प्राचीन जिनालय को नवीन रुप दिया जा रहा है, जो कि अब 1008 चन्द्रप्रभ् सदोदय तीर्थ दिगंबर जैन मंदिर के नाम से जाना जाएगा जिसमें नवीन जिनबिंब की स्थापना की जा रही है, जिसक पंचकल्याणक महोत्सव 31 अक्टूबर से 4 नवम्बर 2022 तक फाफाडीह गली नं.4 स्थित सन्मति नगर दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में संपन्न होगा। 5 नवंबर को मध्यांह 2 बजे साधुओं का पिच्छिका परिवर्तन संपन्न होगा।
रायपुर के इतिहास में प्रथम बार 22 साधुओं के मध्य 3 बाल बह्मचारी भैया जियो की दिगंबर दीक्षा होने जा रही है, जिनके दीक्षा प्रदाता आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज स्वयं अपने करकमलों से ब्रम्हाचारी सौरभ भैया( परतबाड़ा) ब्रम्हाचारी निखिल भैंया (छतरपुर) ब्रम्हाचारी विशाल भैंया (भिण्ड) को जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान करेंगे।