भोपाल । कर्नाटक विधानसभा चुनाव में नेता पुत्रों को टिकट देने और उनकी चुनावी जीत हार के बाद अब मध्यप्रदेश में भी नेता पुत्रों के टिकट को लेकर एक बार फिर सरगर्मी तेज हो गई है। यहां पांच नेता पुत्रों और मंत्रियों के बेटों को टिकट दिया गया था जिसमें से चार जीतने में सफल रहे हैं जबकि एक को हार का सामना करना पड़ा है। इसके बाद मध्यप्रदेश में कई ऐसे नेता पुत्र जिन्होंने क्षेत्र में अपना जनाधार बनाया है, उन्हें भी टिकट की आस जागी है।

सामाजिक ताने बाने और क्षेत्रीय लोकप्रियता के आधार पर विधानसभा चुनाव में उनकी टिकट की दावेदारी बढ़ रही है। भाजपा में वैसे तो दर्जन भर से अधिक नेता व मंत्री पुत्र एक्टिव हैं लेकिन उनमें से आधा दर्जन से अधिक नेता व मंत्री पुत्र ऐसे हैं जिन्होंने पिता के चुनाव की जिम्मेदारी संभालते हुए अब अपनी राजनीतिक पहचान बनाने का काम किया है।

अभिषेक भार्गव पुत्र गोपाल भार्गव (मंत्री)
नेता पुत्रों की सामाजिक और राजनीतिक सक्रियता में सबसे आगे नाम लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव का है। रहली विधानसभा और सागर जिले में अपनी सक्रियता की बदौलत अभिषेक की दावेदारी साफ झलक रही है। बीमारों की सेवा और उपचार का मामला हो या बेटियों के कन्यादान का काम हो अथवा क्षेत्रीय समस्याओं के निराकरण का कोई मामला हो, अभिषेक ने पिता गोपाल भार्गव की शासकीय कामों की व्यस्तता के चलते अनुपस्थिति में लोगों को इसका भान नहीं होने दिया है।

सिद्धार्थ मलैया पुत्र जयंत मलैया (पूर्व मंत्री)
पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया ने भी पिछले पांच सालों में अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास भाजपा को कराया है। सिद्धार्थ पर विधानसभा उपचुनाव के दौरान पार्टी कैंडिडेट को सपोर्ट नहीं करने का आरोप लगा था और पार्टी ने उन्हें निष्कासित भी कर दिया था लेकिन अब वे फिर बीजेपी में हैं। सिद्धार्थ दमोह शहर में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत बनाने में सफल हुए हैं।

मौसम बिसेन पुत्री गौरीशंकर बिसेन (पूर्व मंत्री)
पिछले विधानसभा चुनाव में पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन का नाम टिकट के लिए चर्चा में आया था। तब नेता पुत्रों की टिकट के चलते वे टिकट पाने से वंचित रह गई थीं पर पांच सालों में उनकी सक्रियता के चलते वे एक बार फिर चर्चा में हैं।

एकलव्य गौड़ पुत्र मालिनी गौड़ (विधायक)
इंदौर विधानसभा 4 से विधायक व पूर्व महापौर मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ इस समय भाजपा नगर उपाध्यक्ष हैं। उनकी भी दावेदारी इंदौर में अपनी मां के विधानसभा से है। अपने पिता और माता के विधानसभा क्षेत्र में उनकी जनता के बीच सक्रियता दावेदारी के रूप में सामने आ रही है। वे इस वक्त विधानसभा 4 में पूरी तरह सक्रिय हैं।

विक्रम पवार पुत्र गायत्री राजे पवार (विधायक)
देवास विधायक गायत्री राजे तुकोजीराव पवार के बेटे विक्रम सिंह पवार भी इस समय विवादों से इतर राजनीतिक रूप से देवास में सक्रिय बताए जा रहे हैं। विक्रम पूर्व में मारपीट और अन्य मामलों में आरोपी रहे हैं लेकिन पिछले चार सालों में उनकी राजनीतिक सक्रियता को देखते हुए पार्टी में उन्हें टिकट का दावेदार माना जा रहा है।

मंदार महाजन पुत्र सुमित्रा महाजन (पूर्व लोस अध्यक्ष)
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के बेटे मंदार महाजन राऊ विधानसभा क्षेत्र से टिकट चाहते हैं। सुमित्रा ताई भी अपने बेटे मंदार के लिए राजनीतिक भूमि तैयार करने में जुटी हैं। मंदार राऊ में सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रमों में सक्रिय हैं। मंदार इंदौर 3 विधानसभा से भी अपनी दावेदारी कर चुके हैं।

हर्षवर्धन सिंह पुत्र स्व नंदकुमार सिंह चौहान (पूर्व प्रदेश अध्यक्ष)
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान भी राजनीति में सक्रिय हैं। सांसद रहते हुए पिता नंदकुमार सिंह चौहान की कोरोना से हुई मौत के बाद उन्होंने पार्टी से टिकट की दावेदारी की थी लेकिन तब ज्ञानेश्वर पाटिल को मौका मिल गया लेकिन हर्षवर्धन की खंडवा और बुरहानपुर क्षेत्र में सक्रियता बनी हुई है।

कर्नाटक में इन नेता पुत्रों को मिली है जीत
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जिन नेता पुत्रों को टिकट मिला है और जीत हासिल हुई है उसमें मंत्री उमेश कट्टी के बेटे निखिल कट्टी, मंत्री उमेश जाधव के बेटे अवधेश जाधव, सांसद बासवराज के बेटे ज्योति गणेश, पूर्व सीएम येदुरप्पा के बेटे विजेन्द्र को जीत हासिल हुई है जबकि पर्यटन मंत्री के बेटे सिद्धार्थ सिंह चुनाव हार गए हैं।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि चूंकि केंद्रीय नेतृत्व ने साफ कर दिया था कि नेता पुत्रों को टिकट नहीं मिलेगा और कर्नाटक में मिले टिकट के बाद चार नेता पत्र जीतने में सफल रहे, इसलिए अब मध्यप्रदेश में भी नेता पुत्रों को टिकट की आस जागी है।

ये भी नेतापुत्र जो सक्रिय हैं
बीजेपी में नेता पुत्रों की लंबी फेहरिस्त है। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान भी काफी एक्टिव हैं लेकिन राजनीतिक हल्के में चल रही चर्चा के मुताबिक सीएम चौहान अभी कार्तिकेय को चुनाव मैदान में लाने पूरी तरह तैयार नहीं हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र सिंह तोमर रामू, मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा, मंत्री गोविन्द राजपूत के बेटे आकाश राजपूत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा अपने पिता के राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय रहकर सहयोग करते हैं।