भोपाल। न्यायालयीन प्रकरणों की सुनवाई के दौरान नियमों का ध्यान नहीं रखने और निर्धारित न्यायालयीन प्रक्रिया का पालन नहीं करते हुए जारी आदेशों से यदि घपले, घोटाले, वित्तीय अनियमितताओं के दोषी बचते हैं और सरकार की वसूली प्रभावित होती है तो ऐसे अफसरों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। सहकारिता आयुक्त नरेश पाल ने सहकारिता विभाग के सभी संयुक्त पंजीयक और उप और सहायक पंजीयकों और विभाग के प्रशासनिक और न्यायायिक विभागीय अधिकारियों को निर्देश जारी कर नियम-प्रक्रियाओं का पालन करने को कहा है।

दरअसल प्रदेश की प्राथमिक सहकारी समितियों में होने बाले गबन, धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितताओं के दोषियों के मामले आने पर उप पंजीयक, सहायक पंजीयक और संयुक्त पंजीयक स्तर के अधिकारी नियम प्रक्रियाओं का ध्यान नहीं रखते हुए उनकी सजा पर स्टे देने के आदेश जारी कर रहे है। इसके चलते दोषियों को वरिष्ठ न्यायालयों से स्थगन मिलने और उनके पक्ष में आदेश पारित होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। इससे सरकारी धन की वसूली भी प्रभावित होती है। इस पर सहकारिता आयुक्त ने नाराजगी जाहिर की है।

उन्होने अधिकारियों से यह भी पूछा है कि उनके न्यायालयों  द्वारा माह में पारित कितने आदेशों के विरुद्ध अपील में स्थगन प्राप्त हुआ एवं कितने निर्णयों को अपास्त किया गया है। उन्होंने अफसरों को याद भी दिलाया है कि सहकारी समितियों, सहकारी बैंकों और सहकारी संस्थाओं के वे कस्टोडियन भी है। ऐसे में वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामलों में शासकीय धन की वसूली की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। इसलिए सहकारी सोसायटी अधिनियम के अंतर्गत न्यायालयीन प्रकरणों की सुनवाई करते समय तथा आदेश पारित करने समय पीठासीन अधिकारी सुसंगत नियमों का ध्यान रखे और निर्धारित न्यायालयीन प्रकिया का पालन करें। ताकि दोषियों से वसूली हो सके और निर्दोष व्यक्ति सजा का भागी नहीं हो।

उन्होंने यह भी कहा है कि संयुक्त, उप और सहायक पंजीयक प्रशासन और संयुक्त तथा उप पंजीयक न्यायिक द्वारा हर माह निराकृत किए जाने वाले मामलों के लिए लक्ष्य भी तय किए गए है। प्रशासनिक और अर्द्ध न्यायिक मामलों में स्पीकिंग आदेश जारी करने के निर्देश है।  इसके अलावा प्रत्येक न्यायालयीन निर्णय को आवश्यक रुप से विभागीय पोर्टल पर अपलोड करने और सुनवाई के लिए आने वाले मामलों का पंजीयन करने के निर्देश भी उन्होंने दिए थे लेकिन इनका भी पालन नहीं किया जा रहा है। निर्देशों का पालन नहीं करने वाले अफसरों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।

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