नई दिल्ली। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की सदस्यता के मुद्दे पर चीन और पाकिस्तान को झटका देते हुए रूस ने एक बार फिर भारत का समर्थन किया है। रूस ने कहा कि NSG की सदस्यता के लिए भारत के आवदेन को पाकिस्तान से नहीं जोड़ा जा सकता।
रूस की ओर से यह बयान इस मुद्दे पर लगातार भारत का विरोध कर रहे चीन के लिए झटके की तरह है। बताते चलें कि चीन यह कहते हुए 41 सदस्यीय NSG में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहा है कि इससे उसके राष्ट्रीय हित प्रभावित होंगे।
रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने भारतीय विदेश सचिव एस. जयशंकर से कहा कि इस मुद्दे पर पाकिस्तान के आवेदन को लेकर एकमत नहीं है और ऐसा ही भारत के साथ भी है। भारत की सदस्यता का समर्थन करते हुए कहा कि भारत का रिकॉर्ड परमाणु परीक्षण के मामले में गैर-प्रसार वाला है। वहीं, पाकिस्तान के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता है।
उन्होंने कह कि हम जानते हैं कि इस मामले में मुश्किलें हैं, लेकिन अन्य देशों की तुलना में हम इस मामले में सिर्फ बातें बनाने की बजाय व्यावहारिक प्रयास कर रहे हैं। हम इस मुद्दे को चीन के साथ विभिन्न स्तरों पर उठा रहे हैं।
वासनर व्यवस्था की सदस्यता भी मिल सकती है
रूस के उप विदेश मंत्री सर्जेई रयाबकोव ने आज कहा कि यदि सब कुछ अच्छा रहा, तो भारत को वासनर व्यवस्था की सदस्यता मिलने की संभावना है। गौरतलब है कि वासनर व्यवस्था पारंपरिक हथियार, दोहरे इस्तेमाल की वस्तुओं और प्रौद्योगिकी के लिए एक अहम निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है जो हथियारों के अप्रसार को लेकर है।
पहले भी दिया है रूस ने भारत का साथ
यह पहली बार नहीं है, जब रूस ने इस मुद्दे पर भारत का समर्थन किया है। इससे पहले भारत ने इस मुद्दे पर रूस से संपर्क साधा था और तब वहां के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भरोसा दिलाया था कि उनका देश इस मसले पर चीन के साथ बात करेगा।
भारत आने वालों वर्षों में परमाणु निर्यात को बढ़ावा देना चाहता है और ऐसे में NSG की सदस्यता उसके लिए महत्वपूर्ण है। इससे भारत में परमाणु परियोजनाओं में निवेश को लेकर दुनिया के विभिन्न देशों का भरोसा मजबूत होगा। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का दखल बढ़ेगा।