उज्जैन। महाकाल मंदिर में सौ रुपए के प्रोटोकॉल टिकट पर छपी महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की तस्वीर का विरोध शुरू हो गया है। इसके बाद महाकाल प्रबंध समिति ने टिकट से फोटो हटाने का निर्णय लिया है। ज्योतिर्लिंग का यह फोटो भस्म आरती के लिए जारी होने वाले 201 रुपए के एंट्री टिकट पर भी छपा है। प्रबंध समिति ने कहा है कि दोनों जगहों से ज्योतिर्लिंग का फोटो हटा दिया जाएगा। दूसरी ओर पुजारियों के हाथों महाकालेश्वर को चढ़ाए जाने वाले जल को भी प्रबंध समिति ने प्रतिबंधित कर दिया है।
विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शनों के लिए जारी होने वाले टिकट आमतौर पर उपयोग होने के बाद डस्टबिन में फेंक दिए जाते हैं। कई बार यह टिकट पैरों में और धूल में भी गिर जाते हैं। इस वजह से भगवान महाकाल का अपमान होता है। इसके चलते पुजारियों ने टिकट पर छपने वाले भगवान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के फोटो को लेकर विरोध शुरू कर दिया है।
महाकाल मंदिर के पुजारी पं. महेश पुजारी ने बताया कि किसी भी ऐसी वस्तु जो पैरों में आए उस पर भगवान का फोटो नहीं छापा जाना चाहिए। छपी हुई चीजें पैरों में आ सकती हैं या अन्य कई तरह से उनका मिस यूज होता है। इस बात को लेकर हमने मंदिर समिति के सामने आपत्ति जताई थी। महाकाल मंदिर में 11 सितंबर से शुरू हुई भस्म आरती और उसके बाद प्रोटोकॉल के दर्शन के लिए शुल्क निर्धारित किया गया था। तय शुल्क लेने के बाद श्रद्धालुओं को बतौर टोकन एक स्लिप (टिकट) दिया जाता है। जो उपयोग होने के बाद कई बार पैरों में आता है। इसलिए ऐसी चीजों पर भगवान महाकाल का फोटो नहीं होना चाहिए।
महाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक एमसी जूनवाल ने बताया कि मैं इस मामले को दिखवाता हूं। यदि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का फोटो लगा होगा तो उसे हटाया जाएगा। दूसरे टिकट उसके स्थान पर रखे जाएंगे। ताकि किसी की भी धार्मिक भावना आहत न हो।
पुजारियों के जरिए जल चढ़ाना भी प्रतिबंधित
नंदीहाल से श्रद्धालुओं के हाथ लगवाकर भगवान महाकाल को जल चढ़ाने की व्यवस्था को भी महाकाल प्रबंध समिति ने प्रतिबंधित कर दिया है। पुजारियों की आपत्ति के बाद समिति ने यह निर्णय लिया है। समिति ने गणपति मंडपम की पहली रैलिंग के पहुंच मार्ग पर अस्थाई स्टील के बैरिकेड लगवा दिए हैं। ताकि कोई भी पुरोहित या उनके प्रतिनिधि श्रद्धालुओं तक नहीं पहुंच सके और जलाभिषेक नहीं करवा सकें। महाकाल मंदिर के पुजारियों ने उमा सांझी महोत्सव में इस बात को लेकर आपत्ति जताई थी। तब प्रशासक गणेश धाकड़ ने भी व्यवस्थाएं करने का आश्वासन दिया था। दरअसल कोरोना गाइडलाइन के चलते श्रद्धालुओं द्वारा जल चढ़ाने पर रोक लगा दी गई थी।