भोपाल। प्रदेश में कोई कैदी अब टेलीग्राम के जरिए भेजे गए रिहाई आदेश या निजी व्यक्ति द्वारा लाए गए रिहाई आदेश पर रिहा नहीं किया जाएगा। जेल विभाग ने इससे जुड़े नियमों में बदलाव कर दिया है।
जेल विभाग द्वारा संशोधन आदेश जारी कर कहा गया है कि रिहाई आदेश या जमानत बंधपत्र अब न्यायालय द्वारा फास्टर (फास्ट एंड सिक्योर्ड ट्रांसमिशन आॅफ इलेक्ट्रानिक रिकॉडर््स) सिस्टम अथवा डाक के माध्यम से अथवा भृत्य के माध्यम से भेजे जाएंगे। यदि ऐसा दस्तावेज किसी निजी व्यक्ति द्वारा लाया जाता है तो ऐसा दस्तावेज कारागार कार्यालय में स्वीकार नहीं किया जाएगा। कारागार अधिनियम के तहत जेल नियम में कुछ और भी संशोधन किए गए है।
इनमें अपील पर विचारण के मामलों में जमानत पर, जुर्माने के भुगतान पर या प्रतिभूति आदि प्रस्तुत करने की दशाओं में कैदी की रिहाई के ऐसे मामलों में जिनमें विधिक निरोध में रखने की शक्ति न्यायालय के आदेश के परिदान पंजीकृत डाक या इसके लिए अधिकृत व्यक्ति द्वारा या फास्टर सिस्टम के माध्यम से प्राप्त होता है और इस समय यदि उप अधीक्षक मौजूद नहीं है तो सहायक अधीक्षक स्वयं की जवाबदारी पर कैदी को रिहा करेगा तथा रिहाई की प्रक्रिया को निष्पादित करने के उद्देश्य से मुद्रा अंकित करते हुए तथा हस्ताक्षर करते हुए कैदी के वारंट तथा अन्य अभिलेख को पृष्ठांकित भी करेगा।
ऐसी किसी कैदी को जो किसी अन्य जेल में स्थानांतरित कर दिया गया हो, रिहाई के लिए वारंट प्राप्त होने की दशा में वह तत्काल एक पंजीकृत लिफाफे के अधीन या जेल की अधिकृत ई मेल आईडी के माध्यम से स्थानांतरित जेल की अधिकृत ई मेल आईडी पर, फास्टर सिस्टम के माध्यम से, उस जेल को जिसमें कैदी बंद हो भेजा जाएगा और इसकी सूचना तत्काल संबंधित न्यायालय को दी जाएगी।