नई दिल्ली। अब रीयल टाइम एक्सेस के लिए टैक्सपेयर्स के बैंकिंग ट्रांजेक्शन पर गूड एंड सर्विस टैक्स अथॉरिटी नजर रख रही है इसका अर्थ है कि बिजनेस सेक्शन द्वारा फेक इनवाइस पहचान और इनपुट टैक्स क्रेडिट इनपुट के यूज की जानकारी की जा सकेगी। हाल ही में जीएसटी डिपॉर्टमेंट से जांच में खुलासा हुआ है कि फेक इनवाइस के जरिए अनुचित टैक्स क्रेडिट हवाला लेनदेन के लिए यूज किया जा रहा है। कई मामलों में पाया गया है कि कई ट्रांजेक्शन के माध्यम से नकली फेक इनवाइस बनाने वाले व्यक्ति के पास आखिरी ट्रांजेक्शन में पैसा वापस आ रहा है।

एक बिजनेस के लिए उपयोग हो रहे कई अकाउंट

जीएसटी रजिस्ट्रेशन के दौरान टैक्सपेयर्स केवल एक बैंक खाते का विवरण देता है और एक व्यवसाय कई खातों का उपयोग कर सकता है। मौजूदा समय में बैंकिंग ट्रांजेक्शन का डेटा भी प्राप्त करना मुश्किल है।

टैक्स चोरी रोकने की तैयारी

अभी टैक्स चोरी पर नजर रखने के लिए आयकर विभाग को हाई प्राइस ट्रांजेक्शन, संदिग्ध लेनदेन के साथ-साथ एक निश्चित सीमा से ज्यादा कैश जमा पर डेटा प्राप्त होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि फेक इनवाइस को रोकने के लिए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) द्वारा भी मुद्दा उठाया जा चुका है ताकि टैक्स चोरी पर अंकुश लगाया जा सके रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी आरबीआई से इसपर विचार और विमर्श की आवश्यकता है।

जानिए क्या होंगे बदलाव

अगर ऐसा किया जाता है तो ये पता चलेगा कि कई कंपनियां किस तरह की सेवाएं मुहैया करा रही हैं और क्या वे सही टैक्स का भुगतान कर रही हैं और इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठा रही हैं। हालांकि जीएसटी प्राधिकरण पहले से ही आयकर डेटाबेस के लिए कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के फाइलिंग को टैक्सपेयर्स की जानकारी को क्रॉस चेक करने और समझने की योजना बना रहे हैं कि क्या वे सही टैक्स का भुगतान कर रहे हैं।