प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस भी जगह जाते हैं उससे उनका नाता जुड़ जाता है। चाहे वह कोई राज्य हो या कोई शहर-कस्बा। जिस व्यक्ति से मिलते हैं उनके परिवार का हिस्सा बन जाते हैं । अब वे जिस नये कुटुम्ब का हिस्सा बन गये हैं वह है भारत का प्रथम सिनेमाई परिवार यानी ‘कपूर खानदान’। अविभाजित पाकिस्तान के पेशावर से चलकर मुम्बई आये महान अभिनेता पृथ्वीराज कपूर ने हिन्दी सिनेमा को न केवल अपनी अदाकारी से समृद्ध किया, बल्कि होनहार कलाकारों की एक पीढ़ी अपने ही परिवार में तैयार कर भारतीय सिनेमा को सौंपी, जिसमें उनके तीनों पुत्र थे। शम्मी कपूर और शशि कपूर के अतिरिक्त शो मैन कहलाने वाले राजकपूर इसी परिवार की देन हैं। करोड़ों भारतीयों का 8 दशकों से मनोरंजन कपूर खानदान कर रहा है। अपनी अनेक फिल्मों में ‘राजू’ का नाम लेकर रूपहले पर्दे पर अवतरित होने वाले राज कपूर ने अपनी बेहतरीन पटकथाओं वाली फिल्में अभिनीत व निर्देशित कीं जिनमें भारतीय समाज के सुख-दुख के अलावा उसके सपनों के बनने और बिगड़ने को फिल्माया था। उन्होंने फिल्मों को खालिस मनोरंजन के माध्यम से बाहर निकालकर सामाजिक परिवर्तन का जरिया बनाया था।
उन्हीं राज साहब की जन्म शताब्दी पर कपूर खानदान मुम्बई में एक कार्यक्रम कर रहा है; और पूरा परिवार पीएम को बुधवार को आमंत्रित करने दिल्ली गया था। जब राज कपूर के पोते रणबीर कपूर (ऋ षि कपूर के बेटे) ने मोदी से कहा कि ‘आने के पहले उनके परिवार के बीच इस बात को लेकर विमर्श होता रहा कि उन्हें क्या कहकर सम्बोन्धित करना होगा- ‘मिस्टर प्राइम मिनिस्टर’ या ‘प्रधानमंत्री जी’… या कुछ और?’इस पर अपनत्व दिखाते हुए मोदी ने पूरी विनम्रता के साथ कहा कि ‘मैं इसी परिवार का हिस्सा हूं और आप मुझे कैसे भी सम्बोधित कर सकते हैं।’ देश के सर्वोच्च पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा प्राप्त स्नेह से गदगद राज कपूर की पुत्री रीमा ने पीएम को धन्यवाद तो दिया ही, स्वयं इस परिवार से आमंत्रण पाकर व उससे जुड़कर मोदी ने अपने एक्स हैंडल पर न केवल राजकपूर के जयंती समारोह की जानकारी साझा की बल्कि इस मुलाकात के हाईलाइट्स यानी झलकियां दिखाने वाली कई तस्वीरें भी डाली हैं।
देश के लब्ध प्रतिष्ठित किसी खानदान द्वारा राष्ट्राध्यक्ष को बुलाना अजूबा नहीं, न ही किसी के द्वारा इस प्रकार की मुलाकातों से देश-दुनिया को अवगत कराना बेजा बात है। यह दीगर बात है कि सोशल मीडिया पर कई विघ्नसंतोषी इस मुलाकात एवं मोदी की भावाभिव्यक्ति की यह कहकर खिल्ली उड़ा रहे हैं कि ‘उनके पास मणिपुर जाने का समय नहीं है लेकिन कपूर खानदान से मिलने का भरपूर वक्त है’, या फिर ‘क्या मणिपुर के पीड़ित उनके परिवार का हिस्सा नहीं हैं?’ हद तो तब कर दी गयी जब कुछ लोगों ने कहा कि ‘अनेक कलाकारों के साथ सबसे बड़ा अभिनेता।’ खैर!
वैसे मोदी में यह अच्छी बात है कि वे ऐसी आलोचनाओं की परवाह न करते हुए समझदारी के साथ अपना परिवार चुनते रहते हैं या शामिल होते हैं। कभी कई बच्चों वाला अब्बास भी उनके परिवार का हिस्सा बन जाता है तो कभी महिला पहलवान उनके परिवार की सदस्य हो जाती हैं। यह अलग बात है कि वही अब्बास चुनाव के वक्त खलनायक बन जाता है जिसके समुदाय के लोगों की ओर संकेत कर मोदी लोगों को चेतावनी देते हैं कि ‘यदि कांग्रेस आई तो मंगलसूत्र और भैंसें उन्हें दे दी जायेंगी।’
ऐसे ही, धरना-प्रदर्शन करते ही महिला पहलवान उनके परिवार से बाहर कर दी जाती हैं।’ बहरहाल, जैसा कि पिछले दशक भर से देखा जा रहा है कि हर घटना, हर स्थल और हर व्यक्ति का एक सिरा सीधे-सीधे मोदी से जुड़ता है (या कहें कि जोड़ लिया जाता है), तो दूसरा सिरा किसी न किसी तरह से राजनीति से जुड़ता है। उनका सम्बन्ध पश्चिम बंगाल से वैसा ही निकल आता है जैसा महाराष्ट्र से। उनका बौद्ध धर्म से नाता निकल आता है तो संत रविदास से भी। मोदी तो यह तक बतला देते हैं कि चीनी यात्री ह्वैन सॉंग शी जिनपिंग के गांव से होकर गुजरा था और उनके वडनगर तक आया था। उन्होंने राजस्थान के वीर लड़ाके महाराणा प्रताप के ऐतिहासिक महत्व के अश्व चेतक की मां गुजरात की बतलाई। नाते-रिश्तेदारी जोड़ने में निष्णात मोदी यदि कपूर खानदान के परिवार में स्वयं को समाहित करते हैं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिये।
मोदी ने इस अवसर पर बताया कि दिल्ली चुनाव हारने की निराशा से उबरने के लिये भारतीय जनता पार्टी के नेता व पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी ने राज कपूर की फिल्म ‘नई सुबह होगी’ देखी थी जिसके बाद भाजपा की नई सुबह हुई और वह मौजूदा मुकाम पर खड़ी है। बकौल मोदी ‘राज कपूर की फिल्मों में जिस सॉफ्ट पावर का इस्तेमाल हुआ उसी पर भारत की कूटनीति चलती है।’
कई विरोधाभासों की तरह यह नई जुड़ी नातेदारी भी बेहद विसंगतिपूर्ण है क्योंकि राज कपूर ने अपनी फिल्मों में मानवीय मूल्यों को आगे बढ़ाया है तथा समाज में व्याप्त अन्याय, गैरबराबरी तथा आम आदमी की दुश्वारियों का प्रस्तुतीकरण किया है। इसके विपरीत मोदी के विचार और उनके शासन काल में भारत एक बेहद असंवेदनशील समाज में परिवर्तित हो गया है। कपूर खानदान मे मोदी इसलिये शामिल हो चले हैं क्योंकि वह उस ग्लैमरस दुनिया का हिस्सा है जिसके मोदी हमेशा से मुरीद रहे हैं, फिर वह चाहे कलाकारों की दुनिया हो या अमीर व सफल खिलाड़ी अथवा कारोबारी व उद्योगपति।