उज्जैन । ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में बुधवार से प्रोटोकाल (वीआइपी) दर्शन के लिए प्रति व्यक्ति 250 रुपये का शुल्क चुकाना होगा। सशुल्क दर्शनार्थियों को गणेश मंडपम के प्रथम बैरिकेड से भगवान महाकाल के दर्शन होंगे। केवल वीवीआइपी श्रद्धालुओं को नंदी हाल में प्रवेश दिया जाएगा। बता दें कि बीते वर्ष भी मंदिर में प्रोटोकाल दर्शन पर 100 रुपये शुल्क लगाया गया था। विरोध के बाद समिति को यह निर्णय वापस लेना पड़ा था। प्रशासन महाकाल मंदिर में आए दिन नए प्रयोग कर रहा है। व्यवस्था में अर्थ आधारित प्रयोग हो रहे हैं। हाल ही में प्रबंध समिति की बैठक में प्रोटोकाल दर्शन व्यवस्था को सशुल्क करने का निर्णय लिया गया। प्रबंध समिति के निर्णय अनुसार बुधवार से प्रोटोकाल के तहत दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को प्रति व्यक्ति 250 रुपये शुल्क चुकाना होगा। समिति ने केवल गजट नोटिफिकेशन द्वारा निर्धारित अतिविशिष्ट व्यक्ति, साधु-संत, महंत, मंडलेश्वर, शंकराचार्य तथा अधिमान्य पत्रकारों को ही दर्शन शुल्क में छूट देने का निर्णय लिया है। यह पहला मौका नहीं है जब समिति ने प्रोटोकाल दर्शन व्यवस्था को शुल्क के दायरे में शामिल किया है, इससे पहले भी समिति प्रोटोकाल दर्शन पर 100 रुपये प्रति व्यक्ति शुल्क लगा चुकी है। हालांकि इस व्यवस्था का विरोध हुआ था। इसके बाद समिति को निर्णय वापस लेना पड़ा था। इस बार भी समिति के इस निर्णय का विरोध शुरू हो गया है।
काउंटर से शीघ्र दर्शन टिकट लेना आसान
मंदिर समिति ने प्रोटोकाल दर्शनार्थियों को सामान्य 250 रुपये का शीघ्र दर्शन टिकट लेकर दर्शन करने वाले भक्तों की श्रेणी में रखा है। प्रोटोकाल के तहत 250 रुपये चुकाने वाले भक्तों को शीघ्र दर्शन टिकट वाले श्रद्धालुओं के साथ ही मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा तथा इनके साथ ही गणेश मंडपम के प्रथम बैरिकेड से दर्शन कराए जाएंगे। उलटे प्रोटोकाल के तहत 250 रुपये की पर्ची बनवाने में अधिक समय लगेगा। इतने समय में प्रोटोकाल वाले दर्शनार्थी पर्ची आदि बनाने की प्रक्रिया पूर्ण करेंगे, उतने समय में काउंटर से 250 रुपये का टिकट खरीदकर भक्त भगवान के दर्शन कर लेंगे।
नियमित दर्शनार्थियों को वीआइपी व्यवस्था में निश्शुल्क दर्शन
मंदिर समिति ने प्रोटोकाल के तहत आने वाले दर्शनार्थियों पर 250 रुपये का शुल्क लगा दिया है, लेकिन नियमित दर्शनार्थियों को वीआइपी व्यवस्था के तहत चार नंबर गेट से निश्शुल्क प्रवेश दिया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि मंदिर में नियमित दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है। कुछ कर्मचारियों के स्वजन को भी नियमित दर्शनार्थियों की श्रेणी प्रदान की गई है।
पुजारी महासंघ ने दर्ज कराई आपत्ति
मंदिर समिति द्वारा प्रोटोकाल दर्शन व्यवस्था के तहत संत, महंत, मंडलेश्वर आदि को निश्शुल्क दर्शन कराने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय का अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने विरोध किया है। महासंघ के प्रदेश सचिव पं. रूपेश मेहता ने कहा कि संत-महात्मा, मंडलेश्वर, शंकराचार्य, पीठाधीश्वर व समकक्ष धर्माचार्य मंदिरों के प्रमुख नहीं हैं, वे केवल अपने-अपने अखाड़े और स्थानों के प्रमुख हैं। जहां उनके व्यक्तिगत अनुयायी ही उनका सम्मान करते हैं, जबकि पुजारी मंदिर का प्रमुख अंग होने के साथ भगवान का पार्षद होता है। इसका सम्मान सनातनी हिंदू समाज करता है। अगर मंदिर समिति द्वारा संत-महात्मा, मंडलेश्वर को निश्शुल्क सुविधा दी जाती है, तो पुजारी व उनके परिवार को भी निश्शुल्क प्रोटोकाल दर्शन की सुविधा दी जानी चाहिए। समिति साधु-संतों को केवल गणेश मंडपम से दर्शन की सुविधा उपलब्ध कराए। गर्भगृह में प्रवेश के लिए उन्हें भी 1500 रुपये की रसीद कटवाना अनिवार्य होना चाहिए।