इंदौर। राज्यसेवा परीक्षा-2018( MPPSC 2018) के नतीजों में महिलाओं का परचम लहराया है। डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी समेत कई प्रशासनिक पदों पर नियुक्ति हासिल करने वालों में आधी महिलाएं हैं। राज्यसेवा में घोषित कुल 286 पदों में से 146 पर महिलाओं ने कब्जा जमाया है। महिलाओं की सफलता के बढ़े प्रतिशत में उम्मीदवारों की मेधा के साथ महिला आरक्षण लागू करने के फॉर्मूले में हुए सुधार की भूमिका भी अहम मानी जा रही है।
महिलाओं के चयन के लिहाज से राज्यसेवा में सफलता का प्रतिशत 51 प्रतिशत रहा है। डिप्टी कलेक्टर के कुल 26 पदों में 13 पर महिलाएं चयनित हुई हैं। डीएसपी के 10 में से 6, नायब तहसीलदार के 75 में से 36 और वाणिज्यिक कर अधिकारी के पांच में से तीन पदों पर भी महिलाएं ही हैं। इससे पहले कभी भी राज्यसेवा में महिलाओं के चयन का प्रतिशत 50 फीसदी की सीमा तक नहीं पहुंचा।
इससे पहले तक मप्र लोकसेवा आयोग( Madhya Pradesh Public Service Commission) तमाम चयन परिणामों में महिलाओं के 33 प्रतिशत आरक्षण को हॉरिजोंटल यानी क्षैतिज फॉर्मूले के आधार पर लागू करने की बात कहता रहा है। 2007 से इस फॉर्मूले को दोषपूर्ण बताकर बदलने की मांग भी महिला उम्मीदवारों द्वारा की जाती रही है। पीएससी में भागीदारी कर रही महिलाएं बीते वर्षों तक आरक्षण से उलटे नुकसान होने की शिकायत कर रही थीं। असल में बीते वर्षों तक महिलाओं का कटऑफ ज्यादातर श्रेणियों में पुरुष उम्मीदवारों के कटऑफ से ज्यादा रहता था। पीएससी-2003 परीक्षा का नतीजा वर्ष 2007 में घोषित किया गया था तो रतलाम की उम्मीदवार सुनीता जैन 1249 अंक पाने के बाद भी चयनित नहीं हो सकी थीं, जबकि उसी वर्ग में आशीष शर्मा 1240 अंक पर चयनित घोषित हुए थे। इसी के बाद महिला आरक्षण के फॉर्मूले में सुधार की मांग खड़ी हुई।
असल में बीते वर्षों तक हॉरिजोंटल आरक्षण के नाम पर किसी भी श्रेणी में मेरिट सूची में ऊपर रहने वाली महिला उम्मीदवारों को उस श्रेणी के महिला आरक्षित पदों के विरुद्ध चयनित दिखाया जाता था। नतीजा आरक्षण का फायदा नहीं मिलते हुए महिलाओं के लिए कटऑफ ऊपर चला जाता है। इस बार पीएससी ने परिणाम घोषित करते हुए हॉरिजोंटल फॉर्मूला लागू करने का उल्लेख नहीं किया।
नतीजा हुआ कि मेरिट सूची वाली महिला उम्मीदवारों को पहले अनारक्षित श्रेणी की सीट दी गई। बाद में महिला आरक्षण लगाकर महिलाओं का चयन किया गया। इससे चयनित महिलाओं की लिस्ट भी लंबी हो गई। हालांकि पीएससी गुपचुप लागू किए इस सुधार को सीधे-सीधे स्वीकारने से बचता दिख रहा है।
महिला के चयन का उच्च प्रतिशत अच्छी बात है, उन्होंने मेहनत की है। आरक्षण के नियम और फॉर्मूले शासन व सामान्य प्रशासन विभाग तय करता है। पीएससी अपनी ओर से इसमें कुछ नहीं करता।
-रेणु पंत, सचिव, मप्र लोकसेवा आयोग