भोपाल. मध्य प्रदेश में अब अपराध की जांच जल्द होगी. इससे पीड़ित को न्याय भी जल्द मिलने की संभावना और बढ़ जाएगी. प्रदेश के इतिहास में पहली बार अब कागजों पर नहीं बल्कि ऑनलाइन इन्वेस्टिगेशन होगी. हत्या, लूट, डकैती, रेप जैसे जघन्य अपराधों के साथ-साथ सभी तरह के अपराधों की जांच इन्वेस्टिगेशन ऐप के जरिए होगी. यह एप्लीकेशन जल्द थाने स्तर पर पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों के टेबलेट और मोबाइल फोन पर अपलोड होने जा रही है.
पुलिस मुख्यालय के स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने पुलिस को हाईटेक बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने अब इन्वेस्टिगेशन ऐप तैयार किया है. यह ऐप अंतिम चरण में है. इस ऐप में एफआईआर, उसकी आगे की जांच और चार्जशीट पेश करने के तमाम ऑप्शन हैं. पुलिस की जांच पेपरलेस होगी. इससे विवेचना से लेकर चार्जशीट तैयार करना आसान होगा जाएगा. घटनास्थल पर जाकर केस से जुड़े फोटो, वीडियो, बयान, पंचनामा की कार्रवाई भी इसी ऐप के जरिए ऑनलाइन की जा सकेगी. ऑनलाइन इन्वेस्टिगेशन ऐप से पुलिस का समय बचेगा और कागज की बर्बादी भी नहीं होगी. जांच का समय बचेगा तो लोगों को न्याय भी जल्दी मिलेगा.
किसी भी आपराधिक जांच के दौरान पुलिस पर जांच में भेदभाव करने के आरोप लगते हैं. ऐसे में ऑनलाइन इन्वेस्टिगेशन होने से हर तरह की जांच में पारदर्शिता आएगी. इस इन्वेस्टिगेशन ऐप में सुपरविजन की व्यवस्था भी की गई है. यानी, जांचकर्ता पुलिसकर्मी जो भी जानकारी इस ऐप पर अपलोड करेगा, वह जानकारी थाना प्रभारी, सीएसपी, एसपी से लेकर एडीजी तक जाएगी. इसमें अगर किसी तरीके की कोई कमी नजर आएगी, तो उसे दूर करने के तुरंत निर्देश दिए जा सकेंगे.
मध्य प्रदेश सरकार पुलिस को हाईटेक बनाने और उसके काम को आसान करने पर फोकस कर रही है. अभी पुलिस प्रशासन ने ई-एफआईआर को आम जनता के लिए लॉन्च किया था. अब इससे एक कदम आगे बढ़कर थानों में दर्ज होने वाले प्रकरणों की जांच के लिए इन्वेस्टिगेशन ऐप भी तैयार किया गया है.
आम जनता की शिकायत के बाद पुलिस इतने दस्तावेज बनाती है कि अपराध की ओर फोकस ही नहीं कर पाती. इस स्थिति में समय ज्यादा लगता है और पीड़ित व्यक्ति का पुलिस और न्याय व्यवस्था से भरोसा उठने लगता है. जांच के दस्तावेज पर दस्तावेज बनने पर केस को समय पर कोर्ट में पेश करना मुश्किल होता है. जबिकि, अब पुलिस की जांच तुरंत होगी. उसे किसी भी तरह का पेपरवर्क नहीं करना होगा. इससे पीड़ित पक्ष की जांच की गति पहले से कई गुना बढ़ जाएगी. जांच की गति बढ़ेगी तो कोर्ट में केस भी जल्दी लगेगा. कोर्ट में केस जल्दी लगेगा तो न्याय भी जल्द मिलने की संभावना बढ़ जाएगी.