नई दिल्ली । मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता गोविंद सिंह ने 2020 में राज्यसभा के लिए नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के चुनाव को चुनौती वाली अपनीयाचिका सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली। गोविंद सिंह ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। गोविंद सिंह ने सिंधिया पर भाजपा उम्मीदवार के रूप में मध्य प्रदेश से अपना नामांकन पत्र दाखिल करते समय अपने खिलाफ एक प्राथमिकी के बारे में जानकारी कथित तौर पर छिपाने को लेकर हाईकोर्ट में उनके चुनाव को चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय ने 17 मार्च के अपने आदेश पर पुनर्विचार करने से 13 जुलाई को इनकार करते हुए सिंह द्वारा दायर चुनाव याचिका में मुद्दे तय किए थे। सिंधिया ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी थी कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं है और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 465 (फर्जीवाड़ा), 468 (धोखाधड़ी) तथा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में दर्ज की गई प्राथमिकी लंबित आपराधिक मामले के दायरे में नहीं आती है।
गोविंद सिंह की चुनाव याचिका के बाद, उच्च न्यायालय ने केवल प्रारंभिक मुद्दा तय किया था कि क्या केवल प्राथमिकी दर्ज होना ‘आपराधिक मामला’ है, जिसका खुलासा जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किसी उम्मीदवार के नामांकन पत्र में किया जाना चाहिए। उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख कर कहा था कि उनके द्वारा विभिन्न मुद्दों का सुझाव दिया गया था, लेकिन उच्च न्यायालय ने सुनवाई के लिए केवल प्रारंभिक मुद्दा तय किया था।
शीर्ष अदालत ने सात जुलाई को सिंह की अपील खारिज कर दी थी और कहा था कि चुनाव याचिका में उच्च न्यायालय के संबंधित आदेश के आधार पर विचार करने के बाद हमें इसमें हस्तक्षेप करने की कोई गुंजाइश नहीं दिखती। इसके बाद सिंह ने उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की लेकिन इसे खारिज कर दिया गया था। उच्च न्यायालय ने 13 जुलाई के अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 मार्च, 2023 के संबंधित आदेश के आधार पर विचार करने के बाद विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया है।
इसलिए इस न्यायालय की सुविचारित राय में अब पुनर्विचार की कोई गुंजाइश नहीं है।” उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ सिंह ने शीर्ष अदालत का रुख किया। न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने सोमवार को सिंह के वकील अनूप जॉर्ज चौधरी को उच्च न्यायालय के 13 जुलाई के आदेश के खिलाफ अपनी अपील वापस लेने की अनुमति दे दी।
सिंह ने विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि एक पुनर्विचार याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष विचारणीय है क्योंकि शीर्ष अदालत ने उनकी अपील को सरसरी तौर पर खारिज कर दिया था। उनके वकील ने दलील दी कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के तहत, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को शपथ पत्र के साथ नामांकन फॉर्म में आवश्यक सभी आवश्यक तथ्य या विवरण प्रस्तुत करना होता है।