भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार इस कानून को मानसून सत्र में ही लाना चाहती थी, लेकिन समय से पहले सत्र समाप्त होने पर ऐसा नहीं हो सका. इस कानून के तहत राज्य में सार्वजनिक स्थानों पर निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाना जरूरी हो जाएगा. इसके अलावा इन सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग 2 महीने तक सुरक्षित रखनी होगी. जरुरत पड़ने पर यह सीसीटीवी फुटेज पुलिस को मुहैया कराना होंगे. इसके लिए लोक सुरक्षा कानून का प्रारूप तैयार कर लिया गया है.

अब मध्य प्रदेश सरकार के गृह विभाग ने अध्यादेश के जरिए कानून को लागू करने की तैयारी कर ली है. प्रारूप को परिमार्जन के लिए विधि विभाग को भेजा गया है. इस कानून के तहत राज्य के कॉलेजों, स्कूलों, मॉल, रेस्टोरेंट, हॉस्पिटल समेत ऐसे स्थान, जहां 100 से अधिक लोग इकट्ठा होते हैं, वहां संचालकों को सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य होंगे. ऐसे संस्थानों के बाहर कैमरे लगाने का खर्च भी संचालकों को उठाना होगा. इस कानून की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि कई बार पुलिस किसी केस में छानबीन करती है तो पता चलता है वहां कैमरे नहीं लगे थे. लगे भी थे तो रिकॉर्डिंग सुरक्षित नहीं है.

मध्य प्रदेश में लोक सुरक्षा कानून बनाने की तैयारी साल 2020 से चल रही है. तत्कालीन मुख्यमंत्री के निर्देश पर गृह विभाग ने इसकी कवायद शुरू कर दी थी. तत्कालीन अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा ने तेलंगाना के सीसीटीवी कैमरे लगाने और उसका डाटा सुरक्षित रखने संबंधी कानून की तर्ज पर लोक सुरक्षा कानून के तैयार किया था. विधि विभाग के बाद इसे कैबिनेट के जरिए राज्यपाल मंगू भाई पटेल की अनुमति के लिए भेजा जाएगा.