खंडवा । विधानसभा चुनाव का मतदान संपन्न हो गया। अब प्रत्याशियों के साथ ही पदाधिकारियों और समर्थकों को परिणाम का इंतजार है। चुनाव के दौरान अपने पक्ष में काम नहीं करने वाले और विरोधी का साथ देने वालों को चिन्हित किया जा रहा है। अधिकांश भितरघाती तो पहचाने जा चुके हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कहने को तो पार्टी और प्रत्याशी के साथ खड़े रहे लेकिन भितरघात भी जमकर किया। चुनावी जीत के लिए जी-जान लगा देने वाले प्रत्याशी और वरिष्ठ पदाधिकारी ऐसे लोगों पर नजर रखे हुए हैं। चर्चाओं में प्रत्याशी और समर्थक यही कहते नजर आते हैं कि पहले रिजल्ट देख लें, उसके बाद इनको भी देख लेंगे। खंडवा जिले में भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दलों में भितरघातियों की लंबी सूची है। भितरघात के सबसे अधिक मामले खंडवा विधानसभा में हैं। यहां टिकट मांग के साथ ही भितरघात का खेल शुरू हो गया था।

भाजपा में टिकट मांगने वालों को समझाइश देकर नामांकन वापस करवा दिया गया था। इसमें सबसे प्रमुख नाम कृषि उपज मंडी अध्यक्ष आनंद मोहे का है। इसके साथ ही कौशल मेहरा भी भाजपा से टिकट मांग रहे थे लेकिन उन्हें दरकिनार कर दिया गया तो वे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए। उन्हें महादेवगढ़ का समर्थन मिला तो भाजपा की भी नींद उड़ गई। मेहरा मूलत: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता हैं। उनके चुनाव लड़ने के दौरान संघ को बयान जारी करना पड़ा कि वह किसी तरह का चुनाव नहीं लड़ता और न ही लड़वाता है। यही स्थिति कांग्रेस में भी रही।

वोट में सेंध लगाने की कोशिश

सरकारी नौकरी छोड़कर टिकट मांग रहे राजकुमार कैथवास ने सपाक्स के समर्थन से ऑटो रिक्शा की सवारी पकड़ी वे कांग्रेस प्रत्याशी कुंदन मालवीय के वोटों में संेध अवश्य लगाएंगे। कांग्रेस ने उन्हें निष्कासित भी कर दिया है। इसके साथ ही खंडवा में कांग्रेस से टिकट मांगने वाले कुछ लोग पार्टी के लिए काम करने लग गए थे तो कुछ लोग दूर से ही चुनाव को देख रहे थे।

पंधाना: दोनों दलों की मुसीबत बने भितरघाती

पंधाना विधानसभा में भाजपा-कांग्रेस दोनों को भितरघात से जूझना पड़ा। भाजपा में विधायक योगिता बोरकर का टिकट काटकर राम दांगोरे को प्रत्याशी बनाया गया था। कहने को तो उन्होंने राम को आशीर्वाद दे दिया लेकिन पूरे प्रचार अभियान के दौरान योगिता बोरकर के पति नवलसिंह और राम दांगोरे समर्थक आमने-सामने होते रहे। स्थिति यहां तक बनी कि उनमें जमकर मारपीट हुई और नवलसिंह को जेल जाना पड़ा। साथ ही प्रत्याशी राम को आईसीयू में भर्ती होना पड़ा। इस झगड़े में विधायक बोरकर ने तो खंडवा भाजपा कार्यालय में अपना इस्तीफा तक दे दिया है। नवलसिंह को पार्टी ने निष्कासित कर दिया है। इसी तरह कांग्रेस में पंधाना से दो बार चुनाव लड़े नंदू बारे का असामयिक निधन हो गया। उनकी जगह बेटी रूपाली ने कांग्रेस से टिकट मांगा लेकिन यहां पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव की पसंद पर खरगोन जिला पंचायत सदस्य रहीं छाया मोरे को टिकट दिया गया। रूपाली बारे ने भी कांग्रेस से बगावत की और निर्दलीय चुनाव लड़ीं। इस बीच कांग्रेस ने उन्हें अलविदा कह दिया है।

मांधाता : अपनों को साधने में आया पसीना

मांधाता विधानसभा में भाजपा-कांग्रेस दोनों को अपनों को साधने में ही मशक्कत करना पड़ी। यहां से विधायक लोकेंद्रसिंह तोमर का टिकट काटकर नरेंद्रसिंह तोमर को चुनाव लड़वा दिया गया। ऐसे में नाराज विधायक तोमर पूरे प्रचार अभियान के दौरान दूर रहे। यहां तक कि मूंदी में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की सभा में भी वे नहीं पहुंचे। हालांकि कतिपय सूत्र बताते हैं कि उनके समर्थक सक्रिय रहे। यही हाल कांग्रेस का भी रहा। यहां टिकट से वंचित रहे ठाकुर राजनारायणसिंह को कांग्रेस प्रत्याशी नारायण पटेल ने प्रचार अभियान में लगाया ही नहीं। उनके समर्थक भी मौन रहे। ऐसे में मांधाता विधानसभा का चुनाव परिणाम क्या रहेगा, कहना मुश्किल है। इतना अवश्य तय है कि परिणाम के बाद घर बैठने वालों को भी पार्टी में तवज्जो नहीं मिले, इसके प्रयास विरोधी गुटों ने अभी से शुरू कर दिए हैं।

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