भोपाल । मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार वित्तीय संकट से निपटने के लिए पहली बार बाजार से दो हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने जा रही है। कर्ज की यह राशि मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना समेत अन्य योजनाओं पर खर्च की जाएगी। आरबीआई के माध्यम यह कर्ज लेने के लिए 26 दिसंबर को बिडिंग होगी और 27 दिसंबर को सरकार के खाते में यह राशि आएगी।
राज्य के वित्त विभाग ने शुक्रवार को इसकी अधिसूचना जारी की है। सरकार आरबीआई के ई कुबेर सिस्टम के जरिए 16 साल के लिए यह कर्ज ले रही है, जिसे वर्ष 2039 तक चुकाना होगा।
मप्र में नई सरकार का गठन हुए अभी सिर्फ 10 दिन ही हुए हैं। इतने कम अंतराल में ही सरकार को अपना पहला कर्ज लेना पड़ गया है। इधर वित्तीय बजट खत्म होने में अभी तीन महीने शेष हैं। पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि सरकार पहले विधानसभा सत्र में अनुपूरक बजट ला सकती है, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया।
इससे पहले पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान सरकार इस वित्तीय वर्ष में 23 हजार का करोड़ का कर्ज ले चुकी है। इस नए कर्ज को मिलाकर यह राशि 25 हजार करोड़ पर पहुंच जाएगी। प्रदेश पर अब कुल कर्जा 3 लाख 50 हजार करोड़ का होने पर है। ऐसे में मप्र पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है।
मप्र में पहले ही लाड़ली बहना जैसी मुफ्त की योजनाओं के लिए सरकार को हर महीने कम से कम चार हज़ार करोड़ का कर्ज लेना पड़ रहा है। इस योजना के तहत हर महीने प्रदेश की एक करोड़ से अधिक लाड़ली बहनों को 1250 रुपये दिए जाते हैं। सरकारी की यह चुनावी योजना अब सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। इसके अलावा कई चुनावी योजनाएं और हैं जिनके लिए सरकार को पैसे की जरूरत है।