भोपाल। विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। गुना के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और रतलाम के सांसद कांतिलाल भूरिया के अलावा दूसरी सीटों से इन चुनाव में कांग्रेस अपने बड़े नेताओं को मैदान में उतार सकती है, जिनमें विधानसभा चुनाव में हारे प्रत्याशियों के अलावा मोदी लहर में लोकसभा चुनाव हारे हुए उम्मीदवार शामिल हैं।
हालांकि प्रत्याशियों के नाम पर पार्टी का मंथन अभी प्रारंभिक स्तर की चर्चा में है। छिंदवाड़ा से सांसद कमलनाथ के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद इस सीट से उनके लिए विधानसभा सीट रिक्त करने वाले दीपक सक्सेना या कमलनाथ के पुत्र नकुल उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं।
विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस को हुए बड़े नुकसान को भरने के लिए इस बार वहां से हारे प्रत्याशी लोकसभा चुनाव मैदान में उतारे जा सकते हैं। इस क्षेत्र के तीन बड़े नाम विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह और पूर्व सांसद सुंदरलाल तिवारी का लोकसभा में पुनर्वास किया जा सकता है।
सतना से जहां अजय सिंह 2014 की मोदी लहर में भी मात्र 8688 वोटों से हारे थे तो वहां से उनका दावा डॉ. सिंह और तिवारी से ज्यादा भारी है। वहीं सीधी से पूर्व मंत्री स्व. इंद्रजीत पटेल के निधन के बाद उनके स्थान पर अजय सिंह भी सतना में दूसरे दावेदार के उतारे जाने पर यहां से प्रत्याशी बनाए जा सकते हैं।
रीवा से 2014 में लोकसभा चुनाव हारे सुंदरलाल तिवारी को फिर से प्रत्याशी बनाया जाता है तो सतना से डॉ. राजेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। विंध्य की शहडोल लोकसभा सीट पर उप चुनाव हारी हिमाद्री सिंह के प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चाएं हैं।
भोपाल-होशंगाबाद संभाग की विदिशा, भोपाल, होशंगाबाद और बैतूल लोकसभा सीटों में भी विधानसभा चुनाव 2018 में हारे तीन प्रत्याशियों के नाम की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। चांचौड़ा से विधायक पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अनुज लक्ष्मण सिंह के मंत्री नहीं बनाए जाने से एकबार फिर उन्हें विदिशा लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी बनाए जाने की संभावना है।
वे 2014 में मोदी लहर में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के खिलाफ चार लाख 10 हजार से ज्यादा वोटों से हारे थे। मगर यहां यह भी संभावना है कि विधानसभा में पूर्ण बहुमत लायक विधायक संख्या नहीं होने से लक्ष्मण सिंह के स्थान पर दूसरे नेता को वहां से टिकट दे दिया जाए। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को भी लोकसभा चुनाव में उतारा जा सकता है। वे होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र से लड़ाए जा सकते हैं।
वैसे यहां से भाजपा से कांग्रेस में आए वयोवृद्ध नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताज सिंह तथा पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा का नाम प्रत्याशी के रूप में सामने आ रहा है। राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र को लेकर फिलहाल कोई नाम चर्चा में नहीं आया है। बैतूल संसदीय सीट पर टिमरनी से विधानसभा चुनाव हारे सबसे युवा प्रत्याशी अभिजीत शाह का नाम लिया जा रहा है जिनके पिता अजय शाह 2014 में इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी थे।
निमाड़ की खंडवा और खरगोन संसदीय सीटों पर भी विधानसभा चुनाव हारे प्रत्याशियों की दावेदारी की संभावना है। खंडवा से जहां 2014 में लोकसभा चुनाव हारे पीसीसी के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव के नाम की चर्चा है तो खरगोन से भी 2014 में लोकसभा चुनाव हारे उम्मीदवार रमेश पटेल के फिर से उतारे जाने संभावनाएं हैं।
मालवा क्षेत्र की देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार और इंदौर संसदीय सीटों में से देवास और उज्जैन के लिए कांग्रेस को नए प्रत्याशियों की तलाश है। वहीं, मंदसौर से 2014 में हारी प्रत्याशी पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन को उतारे जाने की संभावना है तो धार सीट से पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी को फिर से उतारे जाने के आसार बन रहे हैं।
इंदौर संसदीय सीट से विधानसभा चुनाव में हारे सत्यनारायण पटेल का नाम फिर चर्चा में है लेकिन वे 2014 में भी बड़े अंतर से सुमित्रा महाजन से हार चुके हैं। इसी सीट से पूर्व मंत्री महेश जोशी के पुत्र पिंटू जोशी का नाम भी लोकसभा चुनाव के संभावित प्रत्याशियों के रूप में लिया जा रहा है।
उन्होंने विधानसभा चुनाव में इंदौर तीन से दावेदारी की थी लेकिन उनके परिवार के अश्विन जोशी को टिकट मिला था। वहीं, देवास में सज्जन सिंह वर्मा के मंत्री बन जाने तथा उज्जैन से 2014 में प्रत्याशी रहे प्रेमचंद गुड्डू के भाजपा में चले जाने पर किसी नए चेहरे को मौका मिल सकता है।
ग्वालियर-चंबल संभाग की मुरैना संसदीय सीट से विधानसभा चुनाव के पराजित प्रत्याशी रामनिवास रावत का टिकट होने की संभावना है तो ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र से 2014 की मोदी लहर में मात्र 26699 वोटों से हारे अशोक सिंह को फिर से उतारा जा सकता है।