भोपाल। आगामी 28 नवंबर को होने वाला मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनाव कैमरों की निगाह में रहेगा। 2013 की तुलना में इस बार दोगुना से ज्यादा (14 हजार) मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग और सीसीटीवी के माध्यम से निगरानी होगी। केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल की 650 कंपनियों के जवान भी संवेदनशील क्षेत्रों में लगाए जाएंगे। चुनाव में देखरेख के लिए निर्वाचन आयोग ने 17 राज्यों के अफसरों को पर्यवेक्षक बनाकर तैनात किया है।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने बताया कि चुनाव को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए हर कोशिश की जा रही है। पिछले चुनाव में छह हजार मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग या सीसीटीवी से नजर रखी गई थी। इस बार 14 हजार केंद्रों पर यह व्यवस्था होगी। 149 कपंनियां सीआरपीएफ, 115 बीएसएफ, 108 औद्योगिक सुरक्षा बल, 41 आईटीबीपी और 150 दूसरों राज्यों के सशस्त्र बल की कंपनियां तैनात की गई हैं। 50 कंपनियों ने तो मोर्चा भी संभाल लिया है। बाकी कपंनियां मतदान से चार-पांच दिन पहले मध्यप्रदेश पहुंचेंगी। इसके साथ ही आयोग ने 17 राज्यों के 380 अधिकारियों को केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाकर मप्र में पदस्थ किया है।

इन राज्यों के अफसरों को किया तैनात

चुनाव आयोग ने पर्यवेक्षक के तौर पर मप्र में दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, बिहार, केरल, कर्नाटक, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ और झारखंड के अधिकारियों को तैनात किया है। इसमें आईएएस, आईपीएस, आईआरएस सहित अन्य अखिल भारतीय केंद्रीय सेवाओं के अधिकारियों को पर्यवेक्षक बनाया है। व्यय पर्यवेक्षक दो से चार नवंबर तक पहला दौरा करके चले गए हैं, जो कुछ दिनों बाद वापस लौटेंगे। वहीं, बाकी पर्यवेक्षक शुक्रवार-शनिवार तक मोर्चा संभाल लेंगे।

13 को भोपाल में राजनीतिक दलों से मिलेगा आयोग

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत, चुनाव आयुक्त सुनील अरोरा और अशोक लवासा सहित चार अन्य वरिष्ठ अधिकारी मध्यप्रदेश दौरे पर 12 नवंबर की देर शाम इंदौर आएंगे। 13 नवंबर को इंदौर, उज्जैन और नर्मदापुरम् संभाग के कमिश्नर, आईजी, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों के साथ समीक्षा बैठक होगी।

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