भोपाल। प्रदेश के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के स्थानांतरण की नवीन नीति तैयार की जाएगी। स्थानांतरण की नवीन नीति बनाने के दौरान सभी के सामने रखा जाएगा और सभी शिक्षक संगठनों से विस्तृत चर्चा कर सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे। मध्यप्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षकों की उपलब्धता और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में यह नीति महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह बात स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार ने मंत्रालय में स्कूल शिक्षा विभाग की आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश क्रियान्वयन की कार्य योजना की समीक्षा बैठक में कही। मंत्री ने निर्देश दिए कि सीएम राइज को चिन्हित करने कि प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण करें। इन स्कूलों में स्टीम (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, आर्ट एंड मैथेमेटिक्स) मॉड्यूल को बढ़ावा देने और उसके क्रियान्वयन के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग से समन्वय करें। विद्यार्थियों के मूल्यांकन, शिक्षकों के प्रदर्शन के आकलन के लिए आईटी-आधारित तृतीय पक्ष मूल्यांकन पद्धति अपनाएं।
चयनित स्कूलों में कौशल आधारित व्यावसायिक पाठ्यक्रम संचालित करें। छठवीं से आठवीं के विद्यार्थियों को स्थानीय कुशल कारीगर, कलाकार, शिल्पी आदि हुनरमंद व्यक्तियों से स्थानीय कलाएं हथकरघा, पेंटिंग, शिल्प आदि विद्या सिखाएं। समीक्षा बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी, राज्य शिक्षा केंद्र के आयुक्त लोकेश कुमार जाटव, लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त जयश्री कियावत, संचालक केके द्विवेदी सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
मंत्री ने कहा कि शिक्षकों के सतत व्यवसायिक विकास के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए शिक्षकों के प्रशिक्षण की नीति तैयार करें। उनके प्रदर्शन का आकलन और मूल्यांकन करने के लिए एक मजबूत शिक्षक मूल्यांकन प्रणाली तैयार करें। शिक्षक मूल्यांकन प्रणाली अच्छे प्रदर्शन को पहचानने, प्रोत्साहित करने और उनके समग्र प्रदर्शन में सुधार करने में सहायता करेगी। सामाजिक और भावनात्मक कौशल जैसे दृढ़ता, सहानुभूति, विचारशीलता, साहस और नेतृत्व को शैक्षिक गतिविधियों में समाहित करें और शिक्षकों को स्कूल नेतृत्व प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित करें।