भारत में हार्ट की बीमारियों के मरीजों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. कोरोना महामारी के बाद से हार्ट अटैक से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ा है. कम उम्र में ही दिल का दौरा पड़ रहा है और मौत भी हो रही है. डॉक्टरों का कहना है कि खराब लाइफस्टाइल, खानपान की बिगड़ी हुई आदतें और कोविड वायरस की वजह से हार्ट अटैक के केस बढ़ रहे हैं. अब 15 से 30 साल के आयु वर्ग में भी दिल का दौरा पड़ रहा है. कई रिसर्च बताती हैं कि हार्ट अटैक का सबसे ज्यादा खतरा सुबह के समय में होता है, लेकिन ऐसा क्या है कि अटैक का खतरा सुबह को ज्यादा होता है.
डॉक्टरों का कहना है रात को सोने के बाद सुबह करीब चार से पांच बजे के बीच रीर में साइटोकिनिन हार्मोन ज्यादा रिलीज होता है. जो हार्ट अटैक का कारण बनता है. सुबह के समय कुछ लोगों का हार्ट रेट और बीपी बढ़ जाता है. इससे हार्ट के फंक्शन पर असर पड़ता है. दिल को ब्लड सप्लाई करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है. जिससे हार्ट अटैक का रिस्क रहता है. हार्ट अटैक कोरोनरी धमनियों के भीतर मौजूद एथेरो स्क्लोरोटिक प्लाक (कोलेस्ट्रॉल और फैट वाली नसों) के टूटने के कारण होता है. ऐसा माना जाता है कि सुबह के समय एथेरो स्क्लोरोटिक प्लाक के टूटने की आशंका ज्यादा होती है.
कुछ लोग सुबह जल्दी उठ जाते हैं और उठने के तुरंत बाद ही हैवी वर्कआउट शुरू कर देते हैं. इस दौरान शरीर को ऑक्सीजन की जरूरत ज्यादा पड़ती है. इससे हार्ट पर प्रेशर बनता है और हार्ट अटैक आ जाता है. अगर किसी को पहले से हार्ट की कोई बीमारी है तो उसको इस मामलों में दिल का दौरा पड़ने का रिस्क अधिक होता है. जिन लोगों को पहले से हाई बीपी की समस्या है उनमें ये रिस्क अन्य लोगों की तुलना में अधिक होता है. ऐसे में इन मरीजों को उनकी सेहत का ध्यान रखना चाहिए.