मुरैना, 18 मई .अतिशय क्षेत्र सिहोनियां में दिगंबर जैन प्राचीन मंदिर पर जैन धर्म के 16वें तीर्थंकर भगवान शातिनाथ का जन्म, तप व मोक्ष कल्याणक दिवस धर्ममय वातावरण में मनाया गया. इस अवसर पर देश भर के जैन समाज के लोग मौजूद थे. प्रात: काल में शांति धारा के उपरांत विश्व कल्याण की कामना हेतु शांतिनाथ महामंडल विधान का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने भगवान से देश में अमन चौन और शांति की कामना की.
विधान में पंडित राजेंद्र शास्त्री और संजय जैन शास्त्री विशेष रूप से उपस्थित रहे और उन्होंने समस्त धार्मिक क्रियाएं संपन्न कराईं. आयोजन में नित्य नियम पूजन, शांतिधारा के उपरांत भगवान शांतिनाथ नाथ का मंत्रोच्चारण के बीच 108 कलशों से महामस्तकाभिषेक किया गया. तत्पश्चात भगवान शातिनाथ के निर्वाण महोत्सव के उपलक्ष्य में श्रद्धालुओं ने निर्वाण लाडू चढाकर मंगल कामना की.
इस अवसर पर आयोजित शांतिनाथ महामंडल विधान में श्रद्धालुओं ने भाग लेकर पुण्य अर्जित किया. कार्यक्रम में विधान आचार्य पंडित संजय शास्त्री ने कहा कि जैन धर्म में तीर्थंकर भगवान के जन्म तप और मोक्ष कल्याणक का विशेष महत्व है. भगवान के यह कल्याणक मुक्तिपथ की प्रेरणा देते हैं. यह आयोजन मानव से महामानव और आत्मा से परमात्मा बनने का प्रतीकात्मक आयोजन है. जिनके जरिए धर्म और पुण्य का संचय होता है. भगवान शांतिनाथ ने चक्रवर्ती सम्राट होने के बावजूद सब कुछ त्याग कर आत्म कल्याण के मार्ग को अपनाया था. जिसके जरिए उन्होंने मोक्ष को प्राप्त कर जगत को मोह माया राग द्वेष से दूर रहने का संदेश दिया था.
आयोजन के प्रमुख जिनेश जैन एवं आशीष जैन सोनू ने बताया कि भगवान शांतिनाथ का जन्म, तप, मोक्ष कल्याणक पर्व हमें संसारी विकारों से दूर रहने की शिक्षा देता है. तीर्थंकर भगवान शांति के विधाता है और जगत को शांति प्रदान करते हैं. इसलिए हम सभी एकत्रित होकर आज उनकी आराधना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मनुष्य की इच्छाएं अनंत हैं जो कभी पूर्ण नहीं होती वीतरागी भगवान ने दिव्य देशना में जो बातें कही थी, वह सब आज हमारा मार्गदर्शन कर रही हैं. प्रत्येक जीव में निर्वाण प्राप्त करने की योग्यता है, इसीलिए हमें भगवान के बताए मार्ग पर चलना चाहिए.