जबरन दूसरे धर्म के लोगों से ‘जय श्री राम’ का नारा लगवाने के मामले पर राम कथावाचक मोरारी बापू ने कहा कि नारों से कुछ नहीं होता है, जो कुछ होता है वो उन्माद से होता है। सालों से हमारे देहात में जय सियाराम बोला जाता रहा है और लोग इसे मंत्र समझते हैं, लेकिन जय श्री राम एक पवित्र उद्घोष है। इसके साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। इसका शुद्धतम उपयोग हो तो बहुत अच्छा है। बापू से TV9 ने 5 एंकर्स के साथ कई मुद्दों पर एक्सक्लूसिव बातचीत की।
बदलते समय भगवान राम और हनुमान जी का मूल तत्व खोने के सवाल पर मोरारी बापू ने कहा कि राम आत्म तत्व हैं और हनुमान जी वायु तत्व हैं। दोनों तत्वों की इंसान को बहुत जरूरत है। आत्मा भी जरूरी है और सांस लेने के लिए वायु की भी जरूरत है, लेकिन मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं कि वो साध्य हैं साधन नहीं हैं। राम को साधन बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मैं रामचरित मानस ग्रंथ को लेकर निकला हूं वह संवाद का शास्त्र है। इसमें विवाद डालना या खड़ा करना बिल्कुल जरूरी नहीं है। गौरीशंकर शिखर को एक बर्फ का छोटा सा टुकड़ा गिरा नहीं सकता है वो टुकड़ा खुद गिर जाएगा। ये शाश्वत सत्य है। इसके अगल-बगल में भ्रम पैदा किए जा रहे हैं, लेकिन सत्य हमेशा सत्य रहेगा।
मोरारी बापू ने कहा कि हनुमान जी सीता जी की खोज में लंका में मंदिर-मंदिर गए थे, लेकिन आज कई लोग सत्ता की खोज के लिए मंदिर-मंदिर जाते हैं। राम के नाम पर राजनीति और वोट मांगने के सवाल पर बापू ने कहा कि राम को इस तरह के उपयोग में नहीं लेना चाहिए। राम के नाम को अपने निजी हित के लिए उपयोग नहीं करना चाहिए। अपनी-अपनी ईमानदारी और शुद्ध नीतियों से आप अपने से दे सकते हैं। मैं देख रहा हूं कि कुछ क्षेत्र ऐसे हैं राम का उपयोग कर लक्ष्य कुछ और पाना चाहते है, ये बिल्कुल नहीं होना चाहिए।