दयोदय तीर्थ तिलवारा में चातुर्मास कर रहे आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने मंगलवार को प्रवचन में कहा कि हम मनुष्य हैं, हमें अनुशासन में रहना चाहिए! जिस तरह हम बच्चों को अनुशासन का पाठ पढ़ाते हैं उसी तरह हमें भी अनुशासित रहना चाहिए।

अनुशासनहीनता बड़ी बीमारी : आज सड़कों में एक्सीडेंट होते रहते हैं इसका कारण है अनुशासन में ना रहना! मार्ग छोड़कर दूसरे के मार्ग में आ जाना, यही एक्सीडेंट का कारण है, इसे आजकल आधुनिकता माना जाता है। कहते हैं कि समय नहीं है। हमें संयम रखना चाहिए। मनुष्य जन्म मिला है, आपको हर क्षेत्र में संयम का पालन करना चाहिए। अनुशासनहीनता एक बहुत बड़ी बीमारी बनती जा रही भोजन में और भोज्य पदार्थ में अनुशासन में रखा जाता है, अब लोग विषाक्त भोजन ग्रहण कर रहे हैं, कोल्ड स्टोरेज में रख दो इसका मतलब है रखा हुआ भोजन, साग-सब्जी भी हो सकती है। पहले हमको सिखाया जाता है कि किसी पेड़ में लगे हुए फल को कब तोड़ा जा सकता है। जब वह बहुत छोटा भी नहीं हो और यदि बहुत बड़ा भी ना हो, वह बड़ा हो गया तो उसे बीज के लिए रखा जाता है, मध्य का फल खाने योग्य होता है, हमें यह भी बताया जाता है कि ज्यादा नहीं तोड़ना जो व्यर्थ जाए। उतना ही तोड़ना जितना पर्याप्त हो। हर मौसम में फल और सब्जियां अलग-अलग प्रभावशाली होती है लेकिन आजकल 12 महीने यह सब उपलब्ध हो रहा है, कोल्ड स्टोरेज में रखा भोजन खाने योग्य नहीं होता। यदि आप बेमौसमी फल और सब्जियों का उपयोग करते हैं तो आप स्वस्थ नहीं रहते। इन सब वस्तुओं की एक सीमा होती है यदि आप सीमा से अधिक रखो तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। तब प्रकृति करोना जैसी महामारी देती है तभी लोगों की अकल ठिकाने आती है आज लोग कहने लगे यहां-वहां कुछ नहीं खाना है, सोच समझकर खाना-पीना चाहिए हमारे यहां हर चीज की एक मर्यादा-सीमा है। बीज, फल, भोजन, भोजन पकाने की और भोजन पचाने की भी मर्यादा है। ना ज्यादा भोजन दिया जाए और ना कम भोजन दिया जाए। ज्यादा दिए जाने से भोजन खराब होगा या ज्यादा खाने पेट खराब होगा इसलिए सभी कुछ मर्यादा में रहकर करना चाहिए। पहले ऐसी शिक्षा परिवार की बुजुर्गों द्वारा की जाती थी लेकिन आज हम इसे भूल रहे हैं यदि आप अनुशासन और मर्यादा में रहते हैं तो आपका कल्याण निश्चित है।

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