मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रही है, वैसे-वैसे ही सियासत गरमाती जा रही है। कब कौन सा मुद्दा उछालकर किस वर्ग को अपने पाले में लाना है ये राजनीतिक दल अच्छे से जानते हैं। भाजपा और कांग्रेस फिलहाल उसी उधेड़बुन में लगें कि किसी भी तरह से अपने वोटरों को साध लिया जाए। 2023 के चुनाव से पहले मध्य प्रदेश में अब शराबबंदी एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। इसे लेकर भाजपा और अब कांग्रेस मैदान में उतर गई है।
दरअसल कांग्रेस ने ऐलान किया है कि अगर 2023 में उनकी सरकार बनती है तो बिहार, गुजरात की तरह मध्य प्रदेश में शराबबंदी हो जाएगी। लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या शराबबंदी का एजेंडा ही 2023 में सबसे बड़ा चुनावी मुददा बनेगा? इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से हुई। इस दौरान वे शराब की दुकानों पर पत्थर भी फेंकते हुए नजर आई है। लेकिन अब कांग्रेस नेता भी इस मुद्दे को चर्चा में लाकर अपना उल्लू सीधा कर रहें हैं।
देखा जा रहा है मध्य प्रदेश में शराबबंदी को लेकर उमा भारती फिर मैदान में उतर गईं है। 2 अक्टूबर को भोपाल स्थित कर्फ्यू वाली माता मंदिर में दर्शन कर पूर्ण शराबबंदी के लिए नशा मुक्ति अभियान की शुरूआत की। यह अभियान अब 30 नवंबर तक जारी रहेगा। इस दौरान नशामुक्ति अभियान में बाबा रामदेव और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए। लेकिन मुख्यमंत्री ने शराबबंदी के बजाए ये दावा जरूर किया कि मध्य प्रदेश से हुक्का लाउंज जरुर बंद हो जाएंगे।
हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज के बयान से फिलहाल ये तो साफ हो गया कि प्रदेश में फिलहाल शराबबंदी नहीं होगी। लेकिन सरकार के नशा मुक्ति अभियान शुरु करने के 24 घंटे बाद कांग्रेस ने शराबबंदी को चुनाव से पहले बड़ा पॉलिटिकल एजेंडा बना लिया है। कांग्रेस ने अब ये दावा किया है कि सत्ता में लौटते ही मध्य प्रदेश में गुजरात और बिहार की तरह पूर्ण शराबबंदी होगी। और कहा कि पार्टी इसे अपने वचन पत्र में भी शामिल करेगी।
जानकारी के अनुसार कांग्रेस शराबबंदी की मांग को लेकर अब घर घर माहौल बनाने की तैयारी में है। पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ ने भी एक के बाद एक कई ट्वीट करके भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस के ऐलान के बाद सरकार के मंत्री डैमेज कंट्रोल में जुट गए है और कांग्रेस को कर्जमाफी और बेरोजगारी भत्ता देने के वादे का हश्र याद दिला दिया।
मिशन 2023 की जोरदार तैयारी में जुटें हुए है। चुनाव से पहले कांग्रेस को बैठे-बिटाए शराबबंदी का मुद्दा मिल गया है। शराबबंदी की मांग कांग्रेस की तरफ से नहीं उठी थी, ये मांग तो खुद मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने उठाई थी। लेकिन उमा भारती के यू टर्न के बाद कांग्रेस ने इसे हथिया लिया है। ऐसे में सवाल है कि क्या चुनाव से पहले शराबबंदी पर कांग्रेस का वचन भाजपा की टेशन बढ़ाएगा।