भोपाल । तमिलनाडु हेलिकॉप्टर हादसे में शहीद पैरा कमांडो जितेंद्र कुमार वर्मा पंचतत्व में विलीन हो गए। रविवार को मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के पैतृक गांव धामंदा में अंतिम संस्कार हुआ। छोटे भाई धर्मेंद्र ने शहीद के डेढ़ साल के बेटे के सामने मुखाग्नि दी।
कमांडो की पार्थिव देह सुबह 11 बजे दिल्ली से भोपाल एयरपोर्ट पर पहुंची। यहां से पार्थिव शरीर फूलों से सजे सेना के वाहन में सड़क मार्ग से पैतृक गांव धामंदा के लिए रवाना हुई, जो करीब डेढ़ बजे गांव पहुंची। शहीद के सम्मान में भोपाल से लेकर सीहोर तक जगह-जगह लोगों ने सड़क किनारे खड़े होकर फूल बरसाए।
1 करोड़ की सम्मान निधि, स्कूल का नाम अमर शहीद जितेंद्र वर्मा होगा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रविवार दोपहर शहीद को श्रद्धांजलि देने धामंदा गांव पहुंचे। उन्होंने यहां दिवंगत नायक जितेंद्र वर्मा के परिवार को राज्य सरकार की ओर से एक करोड़ रुपए की सम्मान निधि देने का ऐलान किया है। साथ ही उन्होंने पत्नी सुनीता को सरकारी नौकरी देने के साथ ही अमर शहीद जितेंद्र वर्मा के नाम से स्कूल का नामकरण करने की भी घोषणा की।
तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार को हुए हेलिकॉप्टर क्रैश में जनरल बिपिन रावत सहित 13 लाेगाें का निधन हाे गया था। हादसे में सीहोर जिले के धामंदा गांव के 31 साल के पैरा कमांडो जितेंद्र वर्मा की भी मृत्यु हाे गई थी। एसपी मयंक अवस्थी ने बताया कि अंत्येष्टि स्थल तक पहुंचने के लिए दो मार्ग बनाए गए थे। इस बीच पैरा कमांडो के घर के बाहर बैरिकेडिंग कर दी गई थी, ताकि वहां पर भीड़ नहीं हो।
गांव की गलियां पोस्टर से पटीं
देश सेवा में अपनी जान देने वाले नायक जितेंद्र के निधन से पूरा गांव दुखी है। शहीद की अंतिम यात्रा की तैयारी में हर ग्रामीण जुटा हुआ था। क्षेत्र के समाजसेवी दीपक जायसवाल ने बताया कि देश सेवा करते शहीद हुए जवान को सभी ने नम आंखों से विदाई दी। उनकी अंतिम यात्रा में गेंदे, गुलाब सहित अन्य प्रकार के फूलों की बारिश की गई। एक क्विंटल से ज्यादा फूल बरसाकर ग्रामीण अपने सपूत को श्रद्धांजलि दी।
आंखें नम थी, लोग बोले- हमें अपने बेटे पर गर्व
ग्रामीणों का कहना है कि हादसे की सूचना के बाद से ही हमारी आंखें बस उसी ओर देख रही थीं, जिस रास्ते हमारे वीर बेटे की पार्थिव देह गांव आएगी। दोपहर में अपने बेटे को तिरंगे में लिपटा देख आंखें तो झलकी, लेकिन गर्व भी था। यहां गली-गली में जितेंद्र को श्रद्धांजलि देने वाले पोस्टर भी लगाए थे। अपने लाल को अंतिम विदाई देने के लिए गुलाब-गेंदे सहित अन्य प्रकार के फूलों की व्यवस्था की गई थी। घरों की छतों से लेकर गांव की गलियां तक में तिरंगा लहरा रहा था। अंतिम यात्रा में लोगों ने छतों पर खड़े होकर फूल बरसाए।