मन्दसौर, दिगंबर जैन अभिनंदन नाथ जिनालय के 13 से 17 जून तक होने वाले पांच दिवसीय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में मुनि आदित्य सागर जी महाराज ससंघ सानिध्य प्रदान कर रहे हैं. प्रतिष्ठा चार्य ब्रह्मचारी पीयूष प्रसून के निर्देशन में महोत्सव के पूर्व की तैयारियां चल रही है.

इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में पूज्य मुनि आदित्य सागर जी महाराज ने संबोधित करते हुए कहा हर कार्य में विशेषता लाने के लिए लीक से हटकर कुछ करना पड़ता है. आपने कहा दान के साथ प्रिय वचनों की विशेषताएं तथा शौर्य के साथ क्षमा की विशेषता होना चाहिए. व्यक्ति अपनी कमी को ना देख कर दूसरों की कमियां देखता है, यही उसकी सबसे बड़ी कमी है. आपने कहा क्रोध जीवन का सबसे बड़ा शत्रु है, वह सुनामी की तरह आ तो जाता है परंतु उसका तूफान जब शांत होता है तब पता चलता है कि कितनी बड़ी हानि हुई है. मुनि ने कहा ऊँ इग्नोराय नमः के मंत्र से जीवन में सुकून रहेगा. जिंदगी में बिना किसी से कोई सवाल किए केवल जी बोलने की आदत डालें आपने कहा राम में जल जैसे शीतलता, क्षमा, उदारता, नीतिज्ञता होने से सर्व पूज्य है. उन्होंने कहा क्रोध हटाने से जीवन की आधी समस्याएं तो वैसे ही खत्म हो जाएगी.