भोपाल। मध्य प्रदेश के कद्दावर ब्राह्मण नेता एवं पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा की मृत्यु हो गई। वह कोरोनावायरस से संक्रमित होने के बाद चिरायु अस्पताल में इलाज कराने के लिए आए थे। श्री शर्मा व्यापम घोटाले के आरोपी थे और चिरायु अस्पताल के मालिक श्री अजय गोयनका भी व्यापम घोटाले के आरोपी हैं।
60 वर्षीय लक्ष्मीकांत शर्मा पहली बार वर्ष 1993 में 10वीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में पहली बार विधायक चुने गए थे। इसी कार्यकाल में उन्हें उत्कृष्ट विधायक के लिए पुरस्कृत किया गया था। इसके बाद वे वर्ष 1998, 2003 और 2008 में सिरोंज विधानसभा क्षेत्र से लगातार विधायक बनते रहे। लगातार चार बार विजयी शर्मा, उमा भारती के कार्यकाल में राज्यमंत्री बनाए गए। इस दौरान वे खनिज और जनसंपर्क विभाग के मंत्री रहे। बाबूलाल गौर की सरकार में उन्हें खनिज और संस्कृति मंत्री बनाया गया। वहीं शिवराजसिंह चौहान की सरकार में वे उच्च शिक्षा मंत्री बनाए गए थे।
मंत्री पद से इस्तीफा, गिरफ्तारी और लंबे समय तक जेल में बंद रहने के दौरान बाहर राजनीति में चर्चा थी कि श्री लक्ष्मीकांत शर्मा को व्यापम घोटाले में फंसा दिया गया है। अपनी गिरफ्तारी से पहले भी श्री शर्मा ने इस प्रकार का संकेत देते हुए एक बयान दिया था और वह दिल्ली भी गए थे। दरअसल, लक्ष्मीकांत शर्मा ना केवल विदिशा जिला बल्कि मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता के रूप में सुदृढ़ हो रहे थे।
कहा जाता है कि उन दिनों भारतीय जनता पार्टी में कुछ अन्य क्षेत्रीय नेताओं को भी विभिन्न प्रकार के मामलों में फंसाकर उनकी पॉलिटिकल क्लीन की गई थी। श्री लक्ष्मीकांत शर्मा का जनता से कितना मजबूत रिश्ता था, इसका प्रमाण 2018 के विधानसभा चुनाव में मिला जब जेल से छूटने के बाद पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया लेकिन उनके छोटे भाई उमाकांत शर्मा को प्रत्याशी घोषित किया। सिर्फ लक्ष्मीकांत शर्मा का नाम होने के कारण उमाकांत शर्मा जिले में सबसे अधिक मतों से विजयी हुए।