नीमच। मध्यप्रदेश के नीमच में चाय की गुमठी लगाने वाले सुरेश गंगवाल की बेटी आंचल की कामयाबी की देशभर में तारीफ हो रही है। आंचल अपनी कड़ी मेहनत और लगन से एयरफोर्स में पायलट बन गई हैं और फादर्स डे पर हैदराबाद में एयरचीफ मार्सल के सामने मार्च पास्ट करने के बाद उनकी एयरफोर्स में कमिशनिंग हो गई। आंचल की कामयाबी से उनके पिता और परिजन तो खुश हैं ही साथ ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने ट्वीट कर प्रदेश का मान बढ़ाने वाली इस बेटी को बधाई और आशीर्वाद दिया है।
आंचल की कामयाबी की खबर मिलने और संघर्ष के बारे में पता चलने के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने ट्वीट कर एयरफोर्स पायलट आंचल गंगवाल को बधाई दी। मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा कि नीमच में चाय की दुकान लगाने वाले सुरेश गंगवाल जी की बेटी आंचल अब वायुसेना में फाइटर प्लेन उड़ायेगी। मध्यप्रदेश को गौरवान्वित करने वाली बेटी आंचल अब देश के गौरव और सम्मान की रक्षा के लिए अनंत आकाश की ऊंचाइयों में उड़ान भरेगी। बेटी को बधाई, आशीर्वाद और शुभकामनाएं !
चाय का ठेला चलाकर संघर्ष के साथ बच्चों को अच्छी परवरिश देने वाले नीमच के सुरेश गंगवाल को फादर्स डे पर उस वक्त एक अनमोल तोहफा मिला जब उनकी बेटी आंचल ने उनका सीना गर्व से चैड़ा कर दिया। आंचल एयरफोर्स में ऑफिसर बन गई और अब फाइटर प्लेन उड़ाएगी। हैदराबाद ट्रेनिंग सेंटर में एयरचीफ मार्शल के सामने बेटी को मार्च पास्ट करता देख पिता सुरेश की आंखों में खुशी के आंसू आ गए और ऐसा लगा कि जैसे कई सालों पहले देखा उनका सपना पूरा हो गया। सुरेश गंगवाल नीमच में बस स्टैंड पर चाय का ठेला लगाते हैं। बेटी की कामयाबी पर खुशी जाहिर करते हुए सुरेश ने बताया कि उनकी जिंदगी काफी संघर्ष से गुजरी, खुशी के चंद पल ही आए जो उन्हें याद हैं लेकिन अब बेटी आंचल ने उनके जीवन के संघर्ष को सफल कर दिया है। बेटी की कड़ी मेहनत और कभी हार न मानने की दृढ़ शक्ति ने ये साबित कर दिया है कि उनके संघर्ष के पसीने की हर एक बूंद किसी मोती से कम नहीं है।
एयरफोर्स में पायलट बनने वाली आंचल बताती हैं कि साल 2013 में जब उत्तराखंड में त्रासदी आई और वहां वायुसेना ने जो काम किया उसे देखकर उनके मन में भी वायुसेना में जाने की इच्छा जागी। मन में ठान लिया कि अब एयरफोर्स में जाकर देश की सेवा करनी है। एयरफोर्स की तैयारियां शुरु कीं इसी बीच पुलिस इंस्पेक्टर और लेबर इंस्पेक्टर की नौकरी का एक्जाम भी पास कर लिया पर लक्ष्य नहीं डिगा और आखिरकार छठवें प्रयास में एयरफोर्स में ऑफिसर बन गईं।