ग्वालियर: धर्म मनुष्य को जीने की कला सिखाता है. धार्मिक आचरण ही युवाओं और बच्चों को उनके जीवन की सार्थकता का बोध करा सकता है. इसलिए हर अभिभावक का दायित्व है कि वह अपने बच्चों को धर्म के मार्ग पर अग्रसर करें. धर्म के महत्व का बोध होने पर ही सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन और समाज में नैतिक मूल्यों का विकास कर सकते हैं क्योंकि सुसंस्कारिक युवाओं से ही एक सुदृढ़ राष्ट्र का निर्माण संभव है. यदि युवा अहिंसा, त्याग और परोपकार के मार्ग पर चलेगा, वह ही आत्मिक सुख का आभास करा सकता है. उक्त उद्गार श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने संस्कारमय पावन वर्षायोग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार के तत्वावधान में Friday को महावीर कीर्ति स्तभ में आयोजित 48 दिवसीय भक्तामर महामंडल विधान में व्यक्त किए.
मुनि ने कहा कि समाज में खासकर युवाओं को धर्म की महत्ता का बोध नहीं होगा तो वह समाज और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों का निवर्हन कतई नहीं कर सकता. युवाओं में नैतिक मूल्यों के साथ भारतीय संस्कृति के प्रति भी समर्पण का भाव होना चाहिए. उन्होंने खासकर युवा पीढ़ी को कहा कि आज की युवा पीढ़ी फास्ट फूड की तरफ आकर्षित हो रही है, जिससे उनका स्वास्थ्य गिर रहा है. इससे मानसिक तनाव के चलते अपनी क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि परिवार में लाख वैचारिक मतभेद हो कि उसके बावजूद भी वह माता-पिता और सभी बुजुर्गों का सम्मान करेंगे तभी उनका जीवन सुखमय होगा. इस मौके पर इंद्रों द्वारा भगवान जिनेंद्र का अभिषेक किया गया.