नई दिल्ली: झारखंड में जैन तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल के रूप में नामित करने की योजना के खिलाफ जैन धर्म के लोगों के गुस्से को देखते हुए केंद्र सरकार भी अब एक्शन में आ गई है. इस मामले पर केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय अलग-अलग एजेंसियों के साथ मंत्रणा कर रहा है. माना जा रहा है कि भारत सरकार इसको लेकर जल्द ही महत्वपूर्ण घोषणा करेगी.
केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने इस मुद्दे को लेकर 22 दिसंबर को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिट्ठी लिखी थी. इसमें कहा गया है कि इस तीर्थ स्थल को बदलने का उसका कोई विचार नहीं है और झारखंड के सीएम भी लोगों की भावना का ध्यान रखें. श्री सम्मेद शिखरजी झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ की पहाड़ी पर स्थित है. रांची से लगभग 160 किलोमटर दूर स्थित यह पहाड़ी राज्य की सबसे ऊंची चोटी भी है. जैन धर्म के दोनों संप्रदायों दिगंबर और श्वेतांबर के लिए यह सबसे बड़ा तीर्थस्थल है. ऐसा माना जाता है कि इसी जगह पर 24 जैन तीर्थंकरों में से 20 ने ध्यान करने के बाद ‘मोक्ष’ प्राप्त किया था.
झारखंड सरकार ने फरवरी 2019 में देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम और दुमका में बासुकीनाथ धाम जैसे मंदिरों के साथ-साथ पारसनाथ क्षेत्र को ‘पर्यटक स्थल’ के रूप में अधिसूचित किया था. उस साल अगस्त में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस पहाड़ी को एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया और कहा कि इस क्षेत्र में ‘संपन्न पारिस्थितिक पर्यटन का समर्थन करने की जबरदस्त क्षमता’ थी.
इसके बाद 24 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य की पर्यटन नीति का अनावरण किया, जिसमें देवघर में बाबा बैद्यनाथ मंदिर और रामगढ़ जिले के रजरप्पा मंदिर सहित अन्य धार्मिक स्थलों के साथ-साथ पारसनाथ को धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने को रेखांकित किया गया. जैन तीर्थस्थल को लेकर झारखंड सरकार के इस फैसले के खिलाफ जैन धर्म के लोग देश भर में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. जैन समाज के मुताबिक उनका ये आंदोलन धार्मिक स्थल की पवित्रता को बरकरार रखने के लिए है.