ग्वालियर जिले के बहुचर्चित और सनसनीखेज अपहरण, हत्या और दुष्कर्म के मामले में फांसी की सजा पाए आरोपी जितेंद्र कुशवाहा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. जितेंद्र को अब फांसी के फंदे पर नहीं लटकाया जाएगा बल्कि उसे अपने जीवन के 20 साल जेल में ही गुजारने होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उसकी फांसी की सजा की अपील पर सुनवाई करते हुए फांसी को 20 साल के कठोर सश्रम कारावास की सजा में बदल दिया है.

जितेंद्र कुशवाहा ने कंपू थाना क्षेत्र के आमखो पहाड़ी के पास भिंड से शादी समारोह में शामिल होने अपने परिजनों के साथ आई नाबालिग लड़की का न सिर्फ अपहरण किया बल्कि उसे एक सुनसान स्थान पर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म भी किया था. आरोपी ने दुष्कर्म के बाद सबूत मिटाने के युवती को मौत के घाट उतार दिया था. घटना के सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस को मिले थे, जिसमें जितेंद्र लड़की का हाथ पकड़ ले जाते हुए नजर आ रहा था.

तीन दर्जन लोगों की हुई थी गिरफ्तारी

खास बात यह है कि जुलाई 2018 में हुई इस वारदात की संवेदनशीलता को देखते हुए जिला एवं सत्र न्यायालय ने सिर्फ 13 दिन में सुनवाई पूरी करके जितेंद्र कुशवाहा को फांसी की सजा सुनाई थी. यह फैसला 27 जुलाई 2018 को दिया गया था. इसमें लगभग तीन दर्जन लोगों की गवाही हुई थी. अपनी सजा के खिलाफ जितेंद्र ने हाई कोर्ट में अपील की थी, जहां उसकी फांसी की सजा बरकरार रखी गई थीं. इसके बाद जितेंद्र ने अपनी सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

‘नहीं है कोई आपराधिक इतिहास’

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जितेंद्र का पूर्व का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. इसलिए उसमें सुधार की गुंजाइश से इंकार नहीं किया जा सकता है. घटना के समय जितेंद्र की उम्र 24 साल थी वह अपनी गिरफ्तारी के बाद से अभी तक सेंट्रल जेल ग्वालियर में बंद है और उसकी उम्र 30 साल हो चुकी है. इससे पहले बचाव पक्ष की और से बताया गया था कि अभियोजन जितेंद्र कुशवाह की पहचान करने में सफल नहीं रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने फांसी को कठोर कारावास में बदला

डीएनए सैंपल की रिपोर्ट भी भरोसे लायक नहीं है. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जितेंद्र कुशवाहा की फांसी की सजा को अब 20 साल के कठोर कारावास में तब्दील कर दिया है. आदेश में यह भी कहा गया है कि दोषी जितेंद्र किसी भी प्रकार की छूट के लिए हकदार नहीं होगा.