भोपाल । मध्य प्रदेश में बीजेपी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में पूरी तरह जुट गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया दौरों के बाद पार्टी ने राज्य में दो बड़े फैसले लिए हैं। पहले केंद्रीय मंत्रियों भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव को प्रदेश प्रभारी बनाया। इसके बाद शनिवार सुबह को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक नियुक्त करने का ऐलान किया। उनकी नियुक्ति के बाद से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है।

बीते मंगलवार को अमित शाह की भोपाल में पार्टी नेताओं के साथ बैठक के बाद ही लगने लगा था कि पार्टी चुनाव के लिए जल्द ही अपनी टीम का गठन करेगी। ताज्जुब यह है कि इन बैठकों के बाद सबसे ज्यादा व्यस्त केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया दिखे थे। मीटिंग से ठीक पहले सिंधिया ने राज्यपाल मंगूभाई पटेल से मुलाकात की थी। मीटिंग के बाद अमित शाह उन्हें अपने साथ लेकर दिल्ली गए थे। अगले ही दिन सिंधिया फिर लौटकर भोपाल आए। फिर अपने लोकसभा क्षेत्र शिवपुरी में व्यस्त हो गए। सिंधिया के अचानक एक्टिव होने से यह अंदाजा लग रहा था कि उन्हें कोई बड़ी जिम्मदारी दी जा सकती है, लेकिन चुनाव प्रबंध समिति का संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर को बना दिया गया।

तोमर की नियुक्ति को सिंधिया के लिए झटका भी माना जा रहा है। इसके दो कारण हैं। पहला तो तोमर को सिंधिया का राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी माना जाता है। दूसरा यह भी कि सिंधिया की तरह तोमर भी ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से आते हैं। पार्टी अपनी टीम में इस क्षेत्र से और कितने नेताओं को जगह देगी, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है। यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि तमाम सर्वे में ग्वालियर-चंबल में बीजेपी की हालत कमजोर बताई जा रही है।

सिंधिया के लिए सबसे बड़ी समस्या है कि अहम मौकों पर पार्टी के पुराने नेता उनके खिलाफ अक्सर गोलबंद हो जाते हैं। स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान यह देखने को मिला था। पहले ही आशंका जताई जा रही है कि सिंधिया-समर्थक विधायक और मंत्रियों के टिकट कट सकते हैं। यह भी स्पष्ट है कि चुनाव के दौरान तोमर की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। ऐसे में सिंधिया के लिए आने वाले दिनों में मुश्किलें बढ़ सकती हैं।