नई दिल्ली । मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच जुबानी जंग भी तेज होती जा रही है। इसी बीच केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस तरफ से की गई टिप्पणी पर पलटवार किया है। गद्दार कहे जाने पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, ‘अगर ऐसा था तो उन्हें और उनके पिता माधवराज सिंधिया को कांग्रेस ने पार्टी में शामिल क्यों किया था।’ सिंधिया ने कहा कि जिन्होंने इतिहास का एक पन्ना भी नहीं पढ़ा है, उन्हें जो बोलना हो वह बोलें। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनके विचार और विचारधारा मध्य प्रदेश और राष्ट्र के लिए समर्पित है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आगे कहा, ‘देखो वे अपना काम करेंगे, जिन्होंने इतिहास का एक पन्ना भी नहीं पढ़ा है। उन्हें जो बोलना है बोलने दीजिए। मेरे और मेरे परिवार के कर्म, विचार और विचारधारा ग्वालियर, ग्वालियर संभाग, मध्य प्रदेश और राष्ट्र के लिए समर्पित हैं। यदि उन्हें इतनी ही चिंता थी तो उन्होंने मेरे पिताजी माधवराव सिंधिया और फिर मुझे कांग्रेस में शामिल क्यों किया था।’
हाल ही में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की ग्वालियर यात्रा के दौरान एक स्मारक पर पोस्टर लगाए गए थे। जिस पर लिखा था कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सिंधियाओं ने रानी लक्ष्मीबाई और 1967 एवं 2020 में कांग्रेस को धोखा दिया। जानकारी मिलते ही पुलिस ने पोस्टरों को हटा दिया था।
प्रियंका गांधी की 21 जुलाई को ग्वालियर में रैली के दौरान प्रियंका के बोलने से पहले विपक्ष के नेता गोविंद सिंह ने अपने संबोधन में कहा था कि सिंधिया परिवार ने पहले लक्ष्मीबाई को और फिर 1967 में कांग्रेस को निराश किया। गोविंद सिंह बिना नाम लिए विजया राजे सिंधिया का जिक्र कर रहे थे। तब उन्होंने मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को गिरा दिया था।
बताते चलें कि कुछ आलोचकों की तरफ से ग्वालियर के तत्कालीन महाराजा पर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में झांसी की रानी की मदद न करने का आरोप लगाया जाता है। कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता में भी इसका जिक्र किया गया है।
बता दें, मध्य प्रदेश में मार्च 2020 में तब कांग्रेस की सरकार गिर गई थी, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों ने पार्टी से बगावत कर दी थी। सभी नेता बीजेपी में शामिल हो गए थे। कमलनाथ को 15 महीने बाद ही सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था और बीजेपी से शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मुख्यमंत्री बने थे।