भारत की पूर्व राजनयिक माधुरी गुप्ता को शनिवार (19 मई) को दिल्ली की एक अदालत ने तीन साल कारावास की सजा सुनाई। माधुरी गुप्ता को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटरसर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) को संवेदनशील सूचना देने के आरोप में शुक्रवार (18 मई) को दोषी ठहराया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थ शर्मा ने सजा मुकर्रर करते हुए माना कि माधुरी गुप्ता पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग में अति संवदेनशील पद पर थीं। अदालत ने कहा- “निस्संदेह, उनके कद के व्यक्ति से यह उम्मीद थी कि वह किसी साधारण नागरिक से अधिक जिम्मेदारी से काम करेंगी क्योंकि वह अत्यंत भरोसे के पद पर थीं, लेकिन उनके कार्य से देश की छवि खराब हुई है और देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हुआ है।” अदालत ने हालांकि इस फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने के लिए उन्हें जमानत दे दी। अदालत ने उन्हें 25 हजार रुपये का बांड और इतने ही रुपये की जमानत राशि भरने को कहा।
माधुरी गुप्ता को शुक्रवार को सरकारी गोपनीयता कानून (ओएसए) और भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश की धाराओं के तहत दोषी करार दिया गया था। अदालत ने हालांकि उन्हें सरकारी गोपनीयता कानून की सख्त धारा 3(1)(भाग-1) से दोषमुक्त करार दिया। इस धारा के तहत अधिकतम 14 साल की सजा का प्रावधान है। गुप्ता ने पाकिस्तान के अधिकारियों को कुछ गोपनीय सूचना दी थी और वह आईएसआई के दो अधिकारियों मुबशर राजा राणा और जमशेद के संपर्क में थीं। जुलाई 2010 में दाखिल आरोपपत्र के मुताबिक, गुप्ता के जमशेद के साथ संबंध थे और उनकी शादी करने की योजना थी। 7 जनवरी 2012 को निचली अदालत ने गुप्ता को सरकारी गोपनीयता कानून के तहत आरोपी ठहराया था। हालांकि 10 जनवरी को उन्हें जमानत मिल गई थी।
बता दें कि पुलिस की पूछताछ में माधुरी गुप्ता ने स्वीकार किया था कि उनके द्वारा पाकिस्तान की आईएसआई को भारत की अहम जानकारियां हाथ लगी थीं। माधुरी ने बताया था कि वरिष्ठ अधिकारी उनका मजाक उड़ाते थे और अपमान करते थे, तब आईएसआई एजेंट राणा ने उनसे सहानुभूति जताई और नजदीकी बनानी शुरू कर दी थी और बाद में प्यार का इजहार किया था।