मध्य प्रदेश में डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे को मंगलवार शाम जमानत मिल गई। इसके बाद उन्हें देर रात जेल से रिहा कर दिया गया। जेल से बाहर आते ही निशा अपने तीन साल के बेटे से मिलकर भावुक हो गईं। जानकारी के मुताबिक निशा बांगरे को 10 हजार के मुचलके पर जमानत दी गई है। जेल से बाहर आते ही बांगरे ने कहा कि लोकतंत्र की इस लड़ाई में जनता मेरे साथ है, और लोकतंत्र को बचाने के लिए जो भी रास्ता अपनाना होगा हम अपनाएंगे।
निशा बांगरे डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा दे चुकी हैं, लेकिन तीन महीने से भी अधिक का समय होने जाने के बाद भी सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। इस्तीफा स्वीकार करवाने के लिए निशा ने आमला से भोपाल तक पैदल न्याय यात्रा निकाली। 9 अक्टूबर को वो जब अपने समर्थकों के साथ भोपाल के बोर्ड ऑफिस चौराहे पर अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने पहुंचीं , तभी पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। वो आमरण अनशन करने सीएम हाउस की तरफ बढ़ रहीं थीं। जिसके बाद निशा को उनके समर्थकों के साथ हिरासत में ले लिया गया। पुलिस की कार्रवाई के दौरान निशा के कपड़े और संविधान की फोटो तक फट गई।
एक तरफ सरकार उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं कर रही है तो दूसरी तरफ उनके साथ बदसलूकी की गई। निशा के समर्थन में आए पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ,जिला कांग्रेस अध्यक्ष मोनू सक्सेना,सहित कांग्रेस नेता कार्यकर्ताओं को भी पुलिस ने हिरासत में लिया। जिन्हें शाम को छोड़ दिया गया। लेकिन पुलिस ने बांगरे पर धारा-151, 107 और 116 में कार्रवाई कर उन्हें पुलिस कमिश्नर ऑफिस ले जाया गया। जहां जमानत की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण लालघाटी स्थित केंद्रीय जेल भेज दिया गया।
इसी साल जून में डिप्टी कलेक्टर पद से निशा बांगरे ने इस्तीफा प्रमुख सचिव राजस्व विभाग को भेजा था। बता दें कि बांगरे ने विभाग से बैतूल जिले के आमला में अपने मकान के गृहप्रवेश और सर्वधर्म प्रार्थना सम्मेलन में शामिल होने के लिए छुट्टी मांगी थी, लेकिन विभाग ने छुट्टी देने से मना कर दिया। ये भी कहा जा रहा है कि निशा आमला विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहती हैं, इसके लिए उन्होंने अपना इस्तीफा दिया है। लेकिन इस्तीफा सरकार ने मंजूर नहीं किया। निशा बांगरे ने पद से दिए इस्तीफा को मंजूर कराने के लिए सरकार के खिलाफ आमला से भोपाल तक न्याय यात्रा निकाली थी।
कांग्रेस निशा बांगरे के साथ खुलकर साथ आ गई है। सोमवार को भोपाल पहुंची निशा बांगरे की न्याय यात्रा में पूर्व मंत्री पीसी शर्मा, भोपाल जिला अध्यक्ष मोनू सक्सेना सहित कांग्रेस नेताओं ने खुलकर साथ दिया। निशा बांगरे को जब पुलिस गिरफ्तार कर रही थी तो कांग्रेस नेताओं ने पुलिस के साथ तीखी नोकझोंक भी की थी। इतना ही नहीं महिला पुलिस अधिकारी महिला अधिकारी के साथ हुए इस बर्ताव का लेकर कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता रागिनी नायक ने पत्रकार वार्ता में सवाल भी उठाए थे। आंदोलन के दौरान गिरफ्तार हुईं निशा एक दिन जेल में रहीं और रिहा होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उनसे मुलाकात की भी।
इससे स्पष्ट है कि निशा इस्तीफा देकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं। वो कांग्रेस का दामन थामकर चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। लेकिन अब इंतजार है तो सिर्फ इस्तीफा के स्वीकार होने का। इस्तीफा स्वीकार न होने पर निशा अब हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने की भी बात कर रहीं हैं। निशा बांगरे बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं। लेकिन अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि किस पार्टी से वह चुनाव लड़ेंगी। हालांकि जिस तरह से कांग्रेस नेताओं ने उनका साथ दिया है, उससे माना जा रहा है कि वो कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ेंगी।
निशा का जन्म मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में हुआ था। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होने के बाद गुरुग्राम स्थित एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी की। लेकिन ज्यादा दिनों तक नौकरी में नहीं रहीं और सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी। साल 2016 में उनका चयन एमपी में डीएसपी के पद पर हुआ और 2017 में उनका एमपी में डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन हो गया। बैतूल के आमला क्षेत्र में उनकी पहली पोस्टिंग थी। इस्तीफा देने से पहले निशा बांगरे छतरपुर जिले के लवकुश नगर में एसडीएम थीं। भोपाल में भी डिप्टी कलेक्टर रह चुकीं हैं। निशा बांगरे के पति मल्टी नेशनल कंपनी में अधिकारी हैं और उनका 3 साल का एक बेटा भी है। उनका विवाह भी काफी चर्चाओ में रहा था, क्योंकि उन्होंने संविधान को साक्षी मानकर विवाह किया था