भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों में कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। 3 दिसंबर को मतगणना होना है। परिणाम आने के बाद भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो पार्टी ने प्लान बी तैयार कर रखा है। ऐसी स्थिति में बसपा जैसे छोटे दलों के साथ पार्टी से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे नेताओं को पार्टी में शामिल करने के लिए संपर्क करना शुरू कर दिया है।
माना जा रहा है कि इस बार दोनों ही दल एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। आशंका यह भी है कि भाजपा या कांग्रेस दोनों ही स्पष्ट बहुमत से कुछ सीटें कम पर रुक सकती हैं। इसके चलते बागियों और निर्दलीयों को साधने के काम शुरू हो गए हैं। मध्यप्रदेश में 2 दर्जन से अधिक बागी मैदान में डटे हुए हैं, जिनके कारण कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है। भिंड में संजीव कुशवाह, टीकमगढ़ में केके श्रीवास्तव, मुरैना में राकेश रुस्तम सिंह तथा कुछ अन्य क्षेत्रों से केदारनाथ शुक्ला, ममता मीणा, भगवती चौरे, हर्ष चौहान, घासीराम पटेल, माधौसिंह डाबर, रसालसिंह ऐसे दिग्गज बागी हैं, जिनके जीतने की संभावना 50 फीसदी से भी अधिक है, जो परिणाम के बाद किंगमेकर साबित होंगे और भाजपा अभी से इन पर नजरें गड़ाए बैठी है। 2018 के विधानसभा चुनाव में 28 से ज्यादा बागी चुनाव मैदान में उतरे थे। इनमें से सिर्फ 4 को ही जीत नसीब हुई थी, लेकिन निर्दलीयों को अपने पक्ष में करने के मामले में भाजपा कांग्रेस से पिछड़ गई थी।