ग्वालियर। मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की एकल पीठ ने महिला आरक्षण को लेकर एक अहम आदेश दिया है। यदि आरक्षित वर्ग की महिला मेधावी है और मेरिट में सबसे ऊपर है तो वह सामान्य सीट की हकदार है। कोर्ट ने कहा है कि महिलाओं के आरक्षण में क्षैतिज (होरिजेंटल) स्थिति लागू होती है। हाईकोर्ट ने कहा कृषि विश्वविद्यालय ने उपयंत्री की भर्ती में कोई गलती नहीं की है। सामान्य कोई कोटा नहीं है। यह किसी वर्ग के लिए आरक्षित नहीं है। इस श्रेणी में कोई भी शामिल हो सकता है। कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। इस आदेश को कोर्ट ने रिपोर्टेबल किया है। कानून की किताब में आदेश प्रकाशित होगा। याचिका की सुनवाई न्यायमू्रि्त जीएस अहलूवालिया ने की।
राजमाता विजयाराजे कृषि विश्वविद्यालय ने आठ उपयंत्री के पदों को भरने के लिए 11 जनवरी 2012 को विज्ञापन जारी किया था। चार पद सामान्य श्रेणी के तहत रखे गए, जिसमें एक पद महिला के लिए आरक्षित किया गया। दो पद एसटी, एक पद एससी व एक पद ओबीसी के लिए आरक्षित किया गया। एसटी वर्ग की प्रतिभागी आरती कैथवास ने 53 नंबर हासिल किए। वह महिला श्रेणी में सबसे अव्वल रही। महिलाओं के लिए आरक्षित एक पद पर आरती कैथवास को नियुक्ति दी गई। आरती की नियुक्ति को 2017 में सामान्य वर्ग की प्रतिभागी लवली निरंजन ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। लवली ने 49 नंबर हासिल किए थे। याचिका में उसकी ओर से तर्क दिया गया है कि महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर एसटी श्रेणी की प्रतिभागी को नियुक्ति दी गई है। यह सीट एसटी के उम्मीदवार से नहीं भरी जानी है। इस पर सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार का चयन किया जाना चाहिए। कृषि विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ता नकुल खेड़कर ने तर्क दिया कि आरक्षण के जो नियम है, उसके तहत ही नियुक्ति दी गई है। आरती ने सबसे ज्यादा नंबर हासिल किए और वह मेरिट सूची में अव्वल थी। इसलिए आरती को नियुक्ति दी गई। तीन सिंतबर 2022 को इस याचिका में बहस पूरी हो गई थी। कोर्ट ने इस याचिका में अंतिम फैसला सुना दिया। याचिकाकर्ता पद के लिए योग्य नहीं थी। उसके पास कटआफ अंक नहीं है। इसलिए याचिका खारिज की जाती है।