भिंड , शिवराज सरकार के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया भिंड दौरे के दौरान जिला एसपी मनीष खत्री पर भड़क गए. प्रोटोकॉल का पालन न करने पर मंत्री ने कॉल करके एसपी को जमकर फटकार लगाई और चंबल रेंज आईजी से पुलिस कप्तान की शिकायत कर दी.

दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया भिंड पहुंचे थे. यहां प्रोटोकॉल के तहत भिंड एसपी मनीष खत्री कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया को लेने के लिए नहीं पहुंचे. इस बात को लेकर महेंद्र सिंह सिसोदिया काफी नाराज हो गए.

महेंद्र सिंह सिसोदिया ने एसपी को फोन पर फटकार लगाते हुए कहा, ”…दिस इज नॉट प्रॉपर एसक्यूज़. यू शुड हैव सेंड योर एडिशनल एसपी एटलीस्ट. यू शुड हैव कॉल्ड मी. आपको मुझे फोन पर बताना चाहिए था. इसको आप ध्यान में रखिए. आई एम नॉट देट काइंड ऑफ मंत्री. आई एम नॉट गोइंग टू टॉलरेट ऑल दिस.”

इसके साथ ही मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने एसपी की शिकायत चंबल आईजी सुशांत सक्सेना से की है. महेंद्र सिंह सिसोदिया ने आईजी से कहा है कि एसपी प्रोटोकॉल में मौजूद क्यों नहीं थे? इसकी जांच की जाए.

जिला पंचायत कार्यालय के सभागार में पंचायत मंत्री ने समीक्षा बैठक भी ली. बैठक के दौरान पंचायत मंत्री को यह शिकायत मिली कि भिंड जिले में आंगनबाड़ियों की मरम्मत के कार्य के लिए बिना कोई टेंडर बुलाए ठेका दे दिया गया और उसका आधा भुगतान भी कर दिया गया. यह शिकायत मिलने पर महेंद्र सिंह सिसोदिया ने आर ई एस के कार्यपालन यंत्री पातीराम इटौरिया को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही मनरेगा के काम में अटेर जनपद में 76 लाख के गबन का मामला सामने आया.

कलेक्टर ने मामले की जांच भी की. लेकिन न तो इस मामले में एफआईआर दर्ज की और न ही वसूली की गई. इस मामले में मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कलेक्टर को लिखित में जवाब मांगा है कि इस मामले में अभी तक एफआईआर दर्ज क्यों नहीं हुई है और वसूली क्यों नहीं हुई है?

इसके साथ ही पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने इस बात को माना है कि अधिकारी कहीं न कहीं भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते हैं, उन्हें सख्ती से निपटाया जा सकता है. इसके अलावा मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया में कहा कि जनप्रतिनिधियों में जागरूकता का अभाव है, इसलिए जागरूकता लाने के लिए मीटिंग में प्रयास किया गया है.

पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कहा, आज हमने अपने डिपार्टमेंट की भिंड जिले की मीटिंग ली थी. सभी कार्यों की समीक्षा की गई. कुछ प्रकरण ऐसे आए जिनमें भ्रष्टाचार देखा गया. उसमें आंगनबाड़ी के मेंटेनेंस का था. जिसमें बिना ऑनलाइन टेंडर दिए हुए काम आवंटित कर दिया गया. काम पूरा होने से पहले आधा पेमेंट कर दिया गया. इस पर मैंने ईई आरईएस को निलंबित किया है.

दूसरा प्रकरण मनरेगा का आया था जिसमें 76 लाख रुपए का गबन का मामला था. कलेक्टर ने पूरे प्रकरण की जांच की है और पाया कि गंभीर अनियमितता की गई है, किंतु उसमें कोई आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं हुआ और न ही वसूली की कार्रवाई हुई. मैंने कलेक्टर से लिखित रूप से जवाब मांगा है कि आपराधिक प्रकरण दर्ज क्यों नहीं हुआ है? वसूली की कार्रवाई क्यों नहीं हुई है?