विदिशा। दक्षिणपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने आठ छात्रों के धर्मांतरण के आरोप में मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के एक कस्बे स्थित मिशनरी स्कूल में कथित तौर पर हंगामा और तोड़फोड़ किया।
हालांकि, इस शैक्षणिक संस्था ने धर्मांतरण के आरोप से साफ इंकार किया है। अनुविभागीय अधिकारी पुलिस (एसडीओपी) भारत भूषण शर्मा ने बताया कि जिला मुख्यालय से करीब 48 किलोमीटर दूर गंजबासौदा में सेंट जोसेफ स्कूल के परिसर में हंगामा की घटना के बाद पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ दंगा फैलाने से जुड़ी धाराओं में मामला दर्ज किया है।
उन्होंने कहा कि आरोपियों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी। घटना में स्कूल की संपत्ति को नुकसान हुआ है। इस बीच प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हंगामा के दौरान स्कूल भवन पर पथराव भी किया गया। हालांकि, विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी नीकेश अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन किया और प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा है। अग्रवाल ने कहा, ”हमारा कथित हंगामे से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि स्थानीय प्रशासन को सूचित करने के बाद हमारा विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण था। इस धर्मांतरण के खिलाफ पिछले एक सप्ताह से कई संगठन विरोध कर रहे हैं और इसकी जांच की मांग कर रहे हैं। दूसरे राज्यों से लाए गए गरीब छात्रों का कथित तौर पर धर्मांतरण किया जा रहा है।” स्थानीय प्रशासन को सौंपे गए ज्ञापन में विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, हिंदू जागरण मंच व अन्य संगठनों ने स्कूल प्रबंधन पर आठ छात्रों का ईसाई धर्म में परिवर्तन करने का आरोप लगाया है। इस ज्ञापन में इन संगठनों ने स्कूल और उसके चर्च पर विदेशों से पैसे लेने, छात्रों को तिलक नहीं लगाने और कलावा (कलाई में हिंदुओं द्वारा पहना जाने वाला पवित्र धागा) नहीं बांधने के लिए मजबूर करने का भी आरोप लगाया है। इसके अलावा, यह भी आरोप लगाया गया कि छात्रों को ईसाई धर्म की प्रार्थना करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
रविवार को जिलाधिकारी को लिखे पत्र में सेंट जोसेफ चर्च ने हालांकि धर्मांतरण के सभी आरोपों से इंकार किया और दावा किया कि 30 अक्टूबर को आठ ईसाई बच्चों पर किए गए अनुष्ठान हिंदू धर्म में ‘जनेऊ संस्कार’ की तरह थे। चर्च ने इस मामले की जांच करने का भी आग्रह किया ताकि सच्चाई का पता चल सके। पत्र में चर्च ने स्थानीय यूट्यूब चैनलों पर धर्मांतरण की झूठी खबरें फैलाने और सांप्रदायिक तनाव फैलाने का भी आरोप लगाया है और प्रशासन से उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की मांग की है। दूसरी ओर स्कूल के प्रिंसिपल ने एसडीओपी को लिखे पत्र में सुरक्षा की मांग करते हुए कहा है कि फिलहाल स्कूल में परीक्षाएं कराई जा रही हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि मीडिया में प्रसारित किए जा रहे कथित धर्मांतरण की तस्वीरें स्कूल परिसर की नहीं हैं। इस बीच, स्कूल प्रबंधन के प्रवक्ता ने बताया कि मीडिया के माध्यम से विरोध प्रदर्शन की जानकारी मिलने के बाद स्थानीय प्रशासन को समय पर कार्रवाई के लिए संभावित गड़बड़ी के बारे में पहले से सूचित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि लेकिन लोग इकट्ठा होने लगे और पथराव से स्कूल को कम से कम 10 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। सूत्रों के अनुसार जब यह घटना हुई, उस वक्त स्कूल में छात्र अपनी परीक्षाएं देने के लिए मौजूद थे।