जबलपुर। मप्र हाई कोर्ट में ड्राइवरों की हड़ताल के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच ने सरकार को आदेश दिया कि हड़ताल खत्‍म करने के लिए आज ही कार्रवाई करें। हड़ताल को असंवैधानिक बताया गया है। सरकार की ओर से कहा गया कि आज ही इस मामले में ठोस निर्णय लिया जाएगा, आवश्‍यक वस्‍तुओं की उपलब्‍धता सुनिश्चित की जाएगी। यह भी कहा गया कि हड़ताली एसोसिएशन पर कार्रवाई की जाए। मप्र हाईकोर्ट में हड़ताल को लेकर दो याच‍िकाओं पर सुनवाई हुई।

मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ के निर्देश पर महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि पेट्रोल-डीजल आवश्यक वस्तु अधिनियम अंतर्गत आते हैं। अतः आमजन को हो रही दिक्कत को सरकार गम्भीरता से ले रही है। शीघ्र ही उपलब्धता सुनिश्चित कराने ठोस कदम उठाए जाएंगे। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता पंकज दुबे व रितिका गुप्ता ने पक्ष रखा। नागरिक उपभोक्ता मंच की ओर से डा. पीजी नाजपांडे मौजूद रहे।

नए कानून के तहत अगर कोई ट्रक या डंपर चालक किसी को कुचलकर भागता है तो उसे 10 साल की जेल होगी। 7 लाख रुपये जुर्माना भी देना होगा। पहले इस मामले में कुछ ही दिनों में आरोपित ड्राइवर को जमानत मिल जाती थी और वो पुलिस थाने से ही बाहर आ जाता था। इस कानून के तहत भी दो साल की सजा का प्रवि‍धान था।

31 दिसम्बर, 2023 की रात से पूरे भारत, मध्य प्रदेश व जबलपुर में ट्रक ड्राइवर्स जिसमें कि ट्रक ऑपरेटर, टैंकर ऑपरेटर, बस ड्राइवर सभी ने स्ट्राइक कर दी। स्ट्राइक में न बस चला रहे है, न खाद्यान सप्लाई कर रहे हैं, न पेट्रोल सप्लाइ कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में पूरे प्रदेश में लॉ एण्ड ऑर्डर कि स्थिति है। अखिलेश त्रिपाठी एक समाज सेवक के द्वारा जन हित याचिका पेश कि गई। उसे उच्च न्यायालय के समक्ष पेश किया गया।

न्यायालय ने तत्काल आधार में सुनवाई की और सुनवाई करने के बाद राज्य शासन को उपस्थित होने के निर्देश दिए। जिसके अनुपालन में मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता उपस्थित हुए एवं उनके द्वारा उच्च न्यायालय को इस बात से अवगत कराया गया की चूंकि यह विषय असेंशियल कोमोडिटीस ऐक्ट से संबंधित है तो इससे पहले उच्च न्यायालय कोई कार्यवाही करे राज्य शासन इस विषय में संज्ञान लेके निर्णय राज्य शासन इस पर तत्काल कार्रवाई करेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि खाद्य सामग्री, बस एवं पेट्रोल प्रदार्थ अपने गंतव्य तक पहुंचे एवं सुनिश्चित ढंग से बिना लॉ एण्ड ऑर्डर सिचूऐशन के जारी रखें । याचिकाकर्ता की ओर से पंकज दुबे अधिवक्ता एवं रीतिका गुप्ता ने बहस की।