एसिडिटी, जिसे हार्टबर्न या एसिड रिफ्लक्स भी कहा जाता है, एक आम समस्या है। खासकर सुबह के समय यह परेशानी अधिक होती है। यह समस्या तब होती है जब पेट का एसिड भोजन नली (इसोफेगस) में वापस आ जाता है, जिससे सीने और गले में जलन होती है। तनाव, गलत खानपान और अनियमित नींद जैसी आदतें इसे और बढ़ा सकती हैं। अच्छी खबर यह है कि कुछ घरेलू उपायों से इसे बिना दवा के नियंत्रित किया जा सकता है। आइए, एसिडिटी के लक्षण और इलाज के बारे में जानें।

एसिडिटी के लक्षण:
सीने में जलन (Heartburn)
भोजन का वापस आना (Regurgitation)
पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द या असहजता (Indigestion)
गैस और पेट फूलना (Gas and Bloating)
निगलने में दिक्कत (Difficulty Swallowing)
घरघराहट और खांसी (Wheezing or Coughing)
एसिडिटी के लिए घरेलू उपाय:

अजवाइन:
अजवाइन (Carom Seeds) एसिडिटी और पेट फूलने की समस्या को कम करने में सहायक है। अजवाइन का पानी पीने या कुछ दाने चबाने से पाचन रस का स्राव बढ़ता है और एसिडिटी के लक्षण कम होते हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं।

छाछ:
छाछ (Buttermilk) पेट के एसिड को न्यूट्रलाइज़ कर ठंडक पहुंचाती है। इसमें मौजूद लैक्टिक एसिड शरीर के पीएच स्तर को संतुलित करता है। भोजन के बाद एक गिलास छाछ पीने से राहत मिलती है।

सेब का सिरका:
पानी में थोड़ा सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar) मिलाकर पीने से पाचन तंत्र का पीएच संतुलित होता है। यह पेट फूलने और अन्य पाचन समस्याओं में मददगार है, लेकिन इसका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें।

गुनगुना पानी:
गुनगुना पानी एसिडिटी में तुरंत राहत देता है। यह पेट के एसिड को पतला करता है और पाचन में मदद करता है। खासतौर पर भोजन के बाद इसका सेवन फायदेमंद होता है।

केला:
केला (Banana) पेट के एसिड को संतुलित करता है और हार्टबर्न को कम करता है। पके हुए केले में मौजूद पोटैशियम शरीर के पीएच स्तर को बनाए रखने में मदद करता है।

काले जीरे:
काले जीरे (Black Cumin Seeds) में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो पाचन तंत्र को शांत करके एसिडिटी को कम करते हैं। भोजन के बाद एक चम्मच जीरे का पेस्ट लेने से राहत मिलती है।

लाइफस्टाइल में सुधार भी जरूरी:
घरेलू उपायों के साथ जीवनशैली में बदलाव करना भी जरूरी है। जैसे:

तनाव प्रबंधन
रात में भारी भोजन से बचना
सोने से पहले भोजन करने का समय कम से कम दो घंटे का अंतराल रखना
यदि समस्या लगातार बनी रहती है या गंभीर होती है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।