भारतीय सिनेमा में एक क्रांतिकारी बदलाव देखा गया है, जहाँ अब महिला-केंद्रित कहानियाँ मुख्यधारा में आ रही हैं। आज की अभिनेत्रियाँ अपने दमदार, प्रेरणादायक और बहुआयामी अभिनय से बड़े पर्दे पर राज कर रही हैं। इस महिला दिवस के अवसर पर, आइए उन अभिनेत्रियों पर नज़र डालें जिन्होंने अपने निडर और अविस्मरणीय अभिनय से महिला किरदारों को नई परिभाषा दी है।
विद्या बालन :

विद्या बालन ने बॉलीवुड में यह सिद्ध किया कि महिला प्रधान फ़िल्में न केवल समीक्षकों द्वारा सराही जा सकती हैं, बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी सफलता प्राप्त कर सकती हैं। ‘इश्किया’ (2010) में उन्होंने कृष्णा वर्मा का किरदार निभाया, जो रहस्यमयी होने के साथ-साथ आत्मनिर्भर और बुद्धिमान थी। ‘द डर्टी पिक्चर’ (2011) में उन्होंने सिल्क स्मिता का साहसिक और भावनात्मक किरदार निभाया, जो समाज की बेड़ियों को तोड़ने का साहस रखती थी। ‘कहानी’ (2012) में उन्होंने विद्या बागची के रूप में एक गर्भवती महिला का किरदार निभाया, जो अपने पति की तलाश में कोलकाता पहुँचती है, लेकिन अंत में दर्शकों को चौंका देने वाला रहस्योद्घाटन करती है। ‘तुम्हारी सुलु’ (2017) में उन्होंने एक मध्यमवर्गीय गृहिणी की भूमिका निभाई, जो रेडियो जॉकी बनकर अपनी खुद की पहचान स्थापित करती है। इसके अलावा, ‘शकुंतला देवी’ (2020) जैसी फ़िल्मों के माध्यम से भी उन्होंने महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की।
रानी मुखर्जी :

रानी मुखर्जी ने सशक्त, स्वतंत्र और आत्मनिर्भर महिला किरदारों को निभाने में एक अलग ही पहचान बनाई है। ‘ब्लैक’ (2005) में उन्होंने एक दृष्टिहीन और मूक-बधिर महिला की भूमिका निभाई, जिसमें उनका अभिनय गहराई और भावनात्मकता से भरपूर था। ‘मर्दानी’ (2014, 2019) फ़िल्मों में उन्होंने शिवानी शिवाजी रॉय के रूप में एक निडर पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाई, जो मानव तस्करी जैसे गंभीर अपराधों से लड़ती है। उनकी यह भूमिका महिलाओं की ताकत और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बन गई।
कियारा आडवाणी :

कियारा आडवाणी ने अपनी अलग पहचान बनाई है और पारंपरिक सिनेमा की सीमाओं को तोड़ा है। ‘लस्ट स्टोरीज’ (2018) में उन्होंने एक नवविवाहित महिला की भूमिका निभाई, जिसने भारतीय सिनेमा में महिलाओं की इच्छाओं और एजेंसी पर खुली चर्चा को जन्म दिया। ‘गिल्टी’ (2020) में उन्होंने नांकी दत्ता का किरदार निभाया, जो एक विद्रोही कॉलेज छात्रा है और #MeToo के तहत एक मामले का सामना करती है। ‘शेरशाह’ (2021) में उन्होंने डिंपल चीमा की भूमिका में गहरे भावनात्मक रंग भरे, जो प्यार और बलिदान की मिसाल थी। ‘जुग जुग जियो’ (2022) में उन्होंने नैना का किरदार निभाया, जो एक सफल कामकाजी महिला है और अपने व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक जीवन के बीच संतुलन बनाने के लिए संघर्ष करती है। ‘सत्यप्रेम की कथा’ (2023) में उन्होंने अपने अतीत के दर्द को पार कर प्रेम स्वीकार करने वाली महिला का किरदार बखूबी निभाया।
आलिया भट्ट :

आलिया भट्ट अपनी पीढ़ी की सबसे बहुमुखी अभिनेत्रियों में से एक साबित हुई हैं। ‘हाईवे’ (2014) में उन्होंने एक अपहृत युवती की भूमिका निभाई, जो इस यात्रा के दौरान आत्म-खोज की राह पर निकल पड़ती है। ‘राज़ी’ (2018) में उन्होंने एक भारतीय जासूस का किरदार निभाया, जो पाकिस्तान में शादी कर देश सेवा करती है, और इस संघर्ष को उन्होंने बेहद प्रभावी ढंग से पर्दे पर उतारा। ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ (2022) में उन्होंने गंगूबाई का किरदार निभाकर शक्ति, संघर्ष और भावनात्मक गहराई का बेहतरीन संगम पेश किया। हाल ही में ‘जिगरा’ में उन्होंने सत्यभामा आनंद का किरदार निभाया, जो अपने भाई को विदेशी जेल से छुड़ाने के लिए संघर्ष करती है।
प्रियंका चोपड़ा:

प्रियंका चोपड़ा ने चुनौतीपूर्ण भूमिकाओं को अपनाकर अपनी बहुआयामी प्रतिभा का परिचय दिया है। ‘मैरी कॉम’ (2014) में उन्होंने प्रसिद्ध मुक्केबाज़ का किरदार निभाया, जिसमें उन्होंने एक एथलीट की कड़ी मेहनत और संघर्ष को सजीव कर दिया। ‘बाजीराव मस्तानी’ (2015) में उन्होंने काशीबाई के रूप में दर्द और आत्मसम्मान को प्रभावशाली ढंग से दर्शाया। ‘जय गंगाजल’ (2016) में उन्होंने एक सख्त आईपीएस अधिकारी का किरदार निभाकर पुलिस अधिकारी के रूप में अपनी दृढ़ता और शक्ति का परिचय दिया।
दीपिका पादुकोण :

दीपिका पादुकोण ने अपने अभिनय में सुंदरता और शक्ति का संतुलन बनाए रखा है। ‘पीकू’ (2015) में उन्होंने एक आधुनिक, स्वतंत्र महिला की भूमिका निभाई, जो अपने पिता की देखभाल के साथ-साथ अपने जीवन की जटिलताओं को संभालती है। ‘छपाक’ (2020) में उन्होंने एक एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की भूमिका निभाकर समाज में जागरूकता फैलाने का काम किया। ‘पद्मावत’ (2018) में उन्होंने रानी पद्मावती के रूप में गरिमा और साहस को दर्शाया, जो उनकी ताकत और आत्मसम्मान का प्रतीक था।
कंगना रनौत:

कंगना रनौत ऐसी भूमिकाएँ चुनने के लिए जानी जाती हैं, जो साहसी, स्वतंत्र और सामाजिक मानदंडों को चुनौती देने वाली होती हैं। ‘क्वीन’ (2014) में उन्होंने रानी का किरदार निभाया, जो शादी टूटने के बाद अकेले हनीमून पर जाती है और खुद को खोजती है। ‘मणिकर्णिका’ (2019) में उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई का किरदार निभाया, जिसमें उनका अभिनय शक्ति और देशभक्ति से परिपूर्ण था। ‘थलाइवी’ (2021) में उन्होंने जयललिता के सफर को दर्शाया, जो एक अभिनेत्री से भारत की सबसे शक्तिशाली नेताओं में से एक बनती हैं।
इन अभिनेत्रियों ने न केवल दर्शकों का मनोरंजन किया है, बल्कि भारतीय सिनेमा में महिलाओं की छवि को भी नए आयाम दिए हैं। उनके अभिनय ने रूढ़ियों को तोड़ा है और यह साबित किया है कि महिला प्रधान फ़िल्में व्यावसायिक रूप से सफल और सामाजिक रूप से प्रभावशाली हो सकती हैं। इस महिला दिवस के अवसर पर, हम इन असाधारण महिलाओं को सलाम करते हैं, जिन्होंने पर्दे पर जटिल, सशक्त और प्रेरणादायक महिला किरदारों को जीवंत किया है।