ग्वालियर। चुनाव में बागियों और भितरघातियों के कारण बिगड़ते समीकरणों से अब पार्टियों की चिंता बढ़ने लगी है। खास तौर से उन सीटों पर जहां पार्टी के प्रभावशाली नेता खुलकर बगावत कर ताल ठोककर खड़े हैं। ग्वालियर और चंबल संभाग में पांच सीटें ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस अपनों के ही कारण उलझती नजर आ रही है।

पिछले चुनाव में कांटे की टक्कर देकर सत्ता पर काबिज होने वाली कांग्रेस को इस बार ग्वालियर-चंबल अंचल में लगभग एक दर्जन सीटों पर अपनी पार्टी के नेताओं की ओर से चुनौती मिलना उसके लिए परेशानियों का सबब बन रहा है। इनमें से 5 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस के वो नाराज नेता अपनी ही पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन रहे हैं, जो टिकट वितरण से नाराज हैं। इनमें से 3 तो ऐसे हैं जिनका टिकट घोषित कर दिया गया लेकिन बाद में उनके स्थान पर दूसरे नेता को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। वहीं दो ऐसे हैं जो टिकट के प्रबल दावेदार थे और आखिर तक उन्हें भरोसे में रखा गया। इनमें से एक तो मौजूदा एमएलए भी शामिल हैं।

 इनको टिकट बदलने की टींस

  • सुमावली- कांग्रेस ने पहले यहां कुलदीप सिकरवार को प्रत्याशी घोषित किया था लेकिन बाद में बदलाव करते हुए यहां से अजबसिंह कुशवाह को टिकट दे दिया। इससे नाराज होकर कुलदीप ने बसपा का दामन थामते हुए चुनाव में ताल भी ठोक दी है। इससे कांग्रेस की मुश्किलें इसलिए बढ़ती नजर आ रही हैं कि यहां बसपा का वोट बैंक तगड़ा है और पहले भी उसका विधायक चुना जा चुका है।
  • दतिया- जिले की दतिया विधानसभा सीट से पहले अवधेश नायक का टिकट फाइनल हुआ था और बाद में इसे बदलकर राजेन्द्र भारती को दे दिया। इसके बाद अवधेश तो इस मामले में खुलकर कुछ बोलने से बच रहे हैं लेकिन उनके समर्थकों के मन में इस बात का भारी मलाल है। दरअसल कांग्रेस से चुनाव लड़ने का आश्वासन मिलने के बाद ही वह भाजपा को छोड़कर आए थे।
  •  पिछोर- कांग्रेस के कद्दावर नेता केपी सिंह को उनकी परंपरागत सीट पिछोर से मौका देने के बजाय इस बार पार्टी ने उनको शिवपुरी भेज दिया है। इनके स्थान पर पहले शौलेन्द्र सिंह को प्रत्याशी घोषित किया। उलझे हालातों के बीच पार्टी ने एक बार फिर से बदलाव करते हुए अरविन्द लोधी का नाम फाइनल कर दिया। इस तरह इस सीट पर एक नेता का टिकट काटने के साथ दूसरे का टिकट बदला गया।

2 विधायकों को टिकट कटने का दर्द

  • मुरैना से विधायक राकेश मावई का टिकट काटते हुए दिनेश गुर्जर को दिया गया।
  • गोहद से मेवाराम जाटव का टिकट काटा गया, उनकी जगह केशव देशाई को दिया।
  • पहले सुमावली से भी अजब सिंह का काटा गया था लेकिन बाद में बदलाव हो गया।

टिकट के लिए पार्टी छोड़ी फिर भी पत्ता कटा

  • शिवपुरी से टिकट दिए जाने के भरोसे में आकर भाजपा के दिग्गज नेता देवेन्द्र सिंह रघुवंशी ने पार्टी छोड़ दी, लेकिन कांग्रेस में आने के बाद बड़े नेताओं की अंदरुनी लड़ाई के चक्कर में यहां से केपी सिंह को चुनाव मैदान में उतार दिया गया।
  • दतिया में अवधेश नायक बड़े ताम-झाम के साथ भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे कि उनको चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा। कांग्रेस ने उनको टिकट दिया भी लेकिन बेचारे चुनाव नहीं लड़ पाए, क्योंकि बाद में उनका टिकट बदल दिया गया।