आठ परिवार, घर को ताला लगाकर दीक्षा ग्रहण करेंगे, सगी बहनों की चार जोड़ी, एक भाई-बहन तथा दो नन्हें भाई भी करेंगे दीक्षा ग्रहण
•    सीए, डॉक्टर, इंजीनियर, नेशनल स्पोर्ट्स प्लेयर आदि लेंगे दीक्षा
•    7 से लेकर 68 वर्षीय दीक्षार्थी दीक्षा ले रहे हैं, जिनमें 70 प्रतिशत से अधिक युवा हैं।

गुजरात के मुख्यमंत्री ने अमदाबाद में झंडी दिखाकर वर्षीदान यात्रा का प्रस्थान करवाया, तो गुजरात के गृहमंत्री ने लिखी पहली आमंत्रण पत्रिका।

– 25 से 29 नवम्बर तक पाँच दिवसीय सिंहसत्वोत्सव वेसु, सूरत में, महोत्सव हेतु 3 लाख स्क्वैयर फीट में निर्मित अध्यात्म नगरी ‘बलर हाउस’ में रचा जाएगा।

सूरत। ‘जैन दीक्षा’ त्याग धर्म का सर्वोच्च शिखर है और इस विरति मार्ग पर एक साथ 74 व्यक्तियों का सामूहिक अनुगमन केवल और केवल त्याग भूमि भारत में ही संभव है। सूरत के वेसू विस्तार में निर्मित अध्यात्म नगरी ‘बलर हाउस’ में 74 दीक्षार्थी संयम मार्ग पर पदार्पण करने जा रहे हैं, जिनमें 8 परिवार अपने घरों में ताले लगाकर संयम की दिशा में निकल पड़ेंगे। गौरवशाली गुजरात में तापी तट पर स्थित, डायमंड एवं टेक्सटाइल नगरी के रूप में विश्वविख्यात सूरत अब दीक्षानगरी के रूप में जाना जा रहा है। सूरत में आगामी नवम्बर महीने में दीक्षा धर्म का एक नया इतिहास रचने जा रहा है, जिसमें 10-20 या 40-50 नहीं, अपितु 74 मुमुक्षु एक साथ दीक्षा लेने जा रहे हैं। समग्र भारत वर्ष में यह एक अद्भुत घटना है।
पहले जिनके द्वारा 45-36-44-26-18 सामूहिक दीक्षा का आयोजन किया है वह श्री शांतिकनक श्रमणोपासक ट्रस्ट अध्यात्म परिवार द्वारा आयोजित महोत्सव में सूरिरामचंद्र तथा सूरिशांतिचंद्र समुदायवर्ती सूरि भगवंत एवं पदस्थ भगवंतों की निस्तारक निश्रा होगी। इसके साथ ही उपकारी महापुरुषों के प्रताप एवं दीक्षाधर्म महानायक सूरियोग की वैराग्यवर्षी वाणी के प्रभाव तले 74 मुमुक्षु असार संसार का त्याग कर संयम के श्रेष्ठ मार्ग की ओर अग्रसर होंगे। 500 से अधिक श्रमण-श्रमणी भगवंतों की पावन निश्रा में कार्तिक शुक्ल 6 से 10 के दौरान वेसू स्थित अध्यात्म नगरी ‘बलर हाउस’ में पाँच दिवसीय सामूहिक दीक्षा महोत्सव होगा। सिंह सत्व की सुगंध फैला रहे मुमुक्षुओं की सामूहिक दीक्षा महोत्सव का नाम भी सिंहसत्वोत्सव रखा गया है। दीक्षा महोत्सव के पाँच दिनों में प्रभु भक्ति की विशिष्ट कृतियों के साथ दीक्षार्थियों के अभूतपूर्व सम्मान आदि कार्यक्रम होंगी।
इस अभूतपूर्व दीक्षा महोत्सव में दीक्षा ले रहे 74 दीक्षार्थियों में एक साथ 8 परिवार अपने घर-संसार को ताला लगा कर दीक्षा ग्रहण रने वाले हैं। इनके अतिरिक्त अनेक दीक्षार्थी करोड़ों रुपए, सुख-वैभव का त्याग कर रहे हैं, तो कोई मुमुक्षु उच्च पद का त्याग कर संयम के सिंहासन पर विराजमान होने को आतुर हैं। दीक्षा मार्ग पर जाने का निश्चय करने वालों में डॉक्टर, इंजीनियर, सीए, नेशनल स्पोर्ट्स प्लेयर आदि का भी समावेश होता है। इस दीक्षा महोत्सव में 7 से 68 वर्षीय दीक्षार्थी दीक्षा लेने जा रहे हैं, जिनमें 70 प्रतिशत से अधिक युवा दीक्षार्थी हैं।
सूरत की धरा पर नया आयाम रच रहे इस दीक्षा महोत्सव के साक्षी बनने के लिए भारत भर से श्रावक उमड़ने वाले हैं। इतना ही नहीं, विदेशों से भी श्रावकों ने भारत आने के लिए फ्लाइट टिकिट बुक करा लिए हैं। अब प्रत्येक को प्रतीक्षा है 25 नवम्बर को प्रारंभ होने वाले भव्य एवं ऐतिहासिक 74 सामूहिक दीक्षा महोत्सव अर्थात् सिंहसत्वोत्सव की। इस महोत्सव की खुशहाली में 40 हजार सरकारी कर्मचारियों को मिठाई तथा 20 हजार ज़रूरतमंदों को अनाज किट का वितरण किया जाएगा।
25 नवम्बर को प्रारंभ हो रहे सिंहसत्वोत्सव के अंतर्गत प्रतिदिन प्रात:काल आचार्य भगवंत प्रवचन प्रसादी प्रेषित करें। तदुपरांत वांदोली, हृदय को झकझोरने वाली दृश्यावलियाँ, अद्भुत जिनालय, अद्वितीय समारोह, अतिभव्य वर्षीदान यात्रा, अप्रतिम संगीत आदि भी होंगे। देश-विदेश के सभी दीक्षाप्रेमी मुमुक्षुओं को साकर (मिश्री) अर्पण कर सामूहिक वायणा कराएँगे। इतना ही नहीं, सूरत महानगर पालिका, पुलिस एवं जिला सेवा सदन आदि के सरकारी कर्मचारी वर्ग में मिठाइयाँ वितरित की जाएँगी, तो 10 हजार से अधिक ज़रूरतमंदों को अनाज किट का वितरण किया जाएगा। इस प्रकार इस दीक्षा महोत्सव में जीवदया और अनुकंपा के विभिन्न कार्य भी होंगे।
सामूहिक दीक्षा के कीर्तिमान में दीक्षाधर्म के महानायक अजोड़ : दस दिनों में औसत एक दीक्षा

सूरिशांति-जिन-संयम के कृपापात्र तथा जिन शासन में अध्यात्म सम्राट के रूप में विख्यात आचार्य योगतिलक सूरिश्वरजी महाराज की वाणी के श्रवण के लिए बड़ी संख्या में श्रोता उमड़ पड़ते हैं। विशेष रूप से युवा पीढ़ी में पूज्यश्री के प्रति ज़ोरदार दीवानगी है। S3 प्रवचन श्रेणी इसका श्रेष्ठ उदाहरण है। उनकी वाणी के प्रभाव से सामूहिक दीक्षा के अनेक आयाम रचे गए हैं, जिसमें सूरत में 2014 में 45 दीक्षा, इसके बाद मुंबई में 44 दीक्षा के अलावा 36, 26, 18, 17, 7 आदि सामूहिक दीक्षाएँ माइलस्टोन हैं। सूरिराम, सूरिशांति, सूरिजिनचंद्र तथा सूरिसंयम की गुरुयोग पर दिव्य कृपा है। गुरुयोग महापुरुषों के पुण्य प्रताप से नास्तिक को भी आस्तिक बनाने वाली और अत्यंत लॉजिकली संसार की असारता का वर्णन करने वाली अपनी वाणी से अनेक लोगों के संयम के सार्थवाह हैं। उनके गुरुकुल वास में प्राय: 50 से भी अधिक मुमुक्षु प्रशिक्षण लेते ही रहते हैं। इसीलिए पिछले 6 वर्षों में हर 10 दिनों में औसत एक दीक्षा सूरिशांति जिनसंयम कृपा से गुरुयोग की वैराग्य वाणी से हुई है।
गुजरात के मुख्यमंत्री ने अमदाबाद में झंडी दिखा कर वर्षीदान यात्रा का प्रस्थान करवाया तो गुजरात के गृहमंत्री ने लिखी पहली आमंत्रण पत्रिका
हाल में अध्यात्म नगरी में दीक्षा महोत्सव की ज़ोर-शोर से तैयारियाँ हो रही हैं। अहमदाबाद, हिम्मतनगर, ब्यावर आदि अनेक स्थानों पर दीक्षार्थियों का शोभायात्राओं सहित अभिवादन हो रहा है। अहमदाबाद में मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्रभाई पटेल ने दीक्षार्थियों का सत्कार किया झंडी दिखा कर वर्षीदान यात्रा का प्रस्थान करवाया। गुरूवार तारीख 28 अक्टूबर को आमंत्रण पत्रिका लेखन द्वारा  देश भर में निमंत्रण पत्रिकाएँ भेजी जा रही हैं। गुजरात के गृहमंत्री तथा जैन समाज के लाडले श्री हर्ष भाई संघवी ने प्रभु आदिनाथ के नाम की प्रथम पत्रिका लिखी। इस प्रकार सिंहसत्वोत्सव को राजकीय अभिवादन प्राप्त हुआ। मोभी ट्रस्टी श्री हितेशभाई मोता ने बताया कि 28 अक्टूबर गुरुवार को पत्रिका लेखन के साथ दीक्षा महोत्सव के निमंत्रण का मंगल प्रारंभ हो रहा है। संयोजक रवीन्द्र शाह ने कहा कि 55 से अधिक समितियों के लगभग 400 कार्यकर्ता पिछले एक माह से पुरज़ोर तैयारियाँ कर रहे हैं। इतिहास स्वयं नया इतिहास लिखने की तैयारी में जुट गया है।

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