इंदौर । एक झटके में बाहर कर दिए गए 15 साल के अनुभवी अतिथि शिक्षकों का हश्र देखने के बाद अतिथि विद्वान ने एक बार फिर अपने भविष्य के प्रति चिंतित हो उठे हैं। नियमितीकरण की मांग को लेकर एक बार फिर बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कमलनाथ सरकार के समय अतिथि विद्वानों ने सत्ता परिवर्तन तक आंदोलन किया था।
शिक्षकों का आरोप है कि पूर्व कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में जब इन्होंने अपने नियमितीकरण और विवादित सहायक प्राध्यापक भर्ती नियुक्ति से सेवा से बाहर होने के कारण भोपाल में चार महीने तक आंदोलन किया था। उस दौरान विपक्ष में रहते भाजपा ने इन्हें भरोसा दिया था कि हमारी सरकार आते ही पहली कैबिनेट में मांगों को मंजूरी दी जाएगी लेकिन मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार को पुनर्गठित हुए 19 महीने हो गए। सरकार ने अब तक अतिथि विद्वानों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में तीन बार मुद्दा उठाया था और कहा था कि इनकी मांग जायज है। इनका नियमितीकरण करना ही होगा। शिवराज सिंह स्वयं अतिथि विद्वानों के साथ आंदोलन में शामिल हुए थे। एक अतिथि विद्वान संजय कुमार ने सरकार के रुख से निराश होकर आत्महत्या कर ली थी। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष एवं वर्तमान कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव ने उसके परिवार को ₹100000 की मदद दी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भरे मंच से कहा था कि जनता के लिए संघर्ष करना सिंधिया परिवार की रग रग में है। यदि सरकार ने आपके साथ न्याय नहीं किया तो मैं खुद आपके साथ सड़क पर उतर आऊंगा।