धार। मध्यप्रदेश के धार जिले के धरमपुरी में क्षतिग्रस्त कारम बांध को लेकर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस लगातार भाजपा सरकार पर हमले बोल रही है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने बड़ा आरोप लगाया कि सारथी नाम की कंपनी के प्रमोटर अशोक भारद्वाज नाम के सज्जन बताए जाते हैं। हमारी जानकारी के मुताबिक 2020 में कांग्रेस के विधायकों को खरीदने में यह व्यक्ति मास्टरमाइंड था।
नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार ने ब्लैकलिस्टेड कंपनियों से बांध बनवाया। ठेकेदारों के मंत्रियों से सीधे संबंध है। कारम बांध की दुर्घटना सीधे-सीधे शिवराज सिंह चौहान सरकार के भ्रष्टाचार का परिणाम है। कारम बांध के निर्माण का मामला शिवराज सरकार के ई-टेंडर घोटाले से जुड़ा हुआ है। कागजों पर इस बांध के निर्माण का ठेका दिल्ली की एएनएस कंपनी को दिया गया, लेकिन जमीन पर काम सारथी कंस्ट्रक्शन नामक दूसरी कंपनी कर रही थी। सारथी कंस्ट्रक्शन को 2018 में ही ब्लैकलिस्टेड किया जा चुका था। एएनएस कंपनी भी 2016-17 में ब्लैकलिस्टेड की जा चुकी थी। ऐसी ब्लैकलिस्टेड कंपनियों को काम किसके इशारे पर दिया गया?
साधौ ने पूछा- भारद्वाज भाजपा के नेता हैं या नहीं, बताएं
पूर्व मंत्री व विधायक विजय लक्ष्मी साधौ ने पूछा कि भारतीय जनता पार्टी स्पष्ट करें कि अशोक भारद्वाज उसके नेता हैं या नहीं। भाजपा स्पष्ट करें कि गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के अशोक भारद्वाज से क्या संबंध हैं? नरोत्तम मिश्रा की हवाई यात्राओं का बिल अशोक भारद्वाज के माध्यम से चुकाए जाते थे या नहीं। हमारे पास ऐसी बहुत-सी तस्वीरें हैं, जिनमें अशोक भारद्वाज नरोत्तम मिश्रा के साथ बहुत सारे कार्यक्रमों में दिख रहे हैं। मीडिया में उनका परिचय भारतीय जनता पार्टी के नेता के रूप में दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री भी घोटाले से जुड़े हुए हैं
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस मामले की गहराई से जांच की जाएगी तो आपको पता चलेगा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर्दे के पीछे से इस घोटाले में पूरी तरह से जुड़े हुए हैं। मैं किसी का नाम लेना नहीं चाहता, लेकिन आप पता करिए कि मुख्यमंत्री से सीधे जुड़े कुछ लोग इस परियोजना में बिजनेस पार्टनर थे या नहीं? उन्होंने पूछा कि हम बांध निर्माण के बारे में मुख्यमंत्री से कुछ सवाल पूछना चाहते हैं। क्या बांध के डिजाइन को सक्षम अथॉरिटी से मंजूरी मिल गई थी? क्या सरकार ने ठेकेदार की क्षमता और मशीनरी का पूरा अध्ययन कर लिया था? क्या बांध स्थल की मिट्टी की नियमपूर्वक जांच की गई थी। क्या भराव से पहले मिट्टी की जांच कर ली गई थी? बांध को बंद करने का आदेश कब और किसने दिया? इन सारे सवालों का मुख्यमंत्री सीधा जवाब जनता को दें, ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके। नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने कहा कि प्रदेश में अकेला कारम बांध नहीं है जो शिवराज सरकार के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा है। विदिशा जिले के बागरोद में स्थित दान मणि बांध में भी लीकेज का मामला सामने आया है।
शिवपुरी में भी सामने आया घोटाला
उन्होंने कहा कि शिवपुरी जिले की चंबल माइक्रो इरिगेशन योजना में भी घोटाला सामने आया है। इस योजना पर 160 करोड रुपये खर्च किए जा चुके हैं लेकिन इस योजना से अब तक कोई सिंचाई नहीं हो रही है। इसकी मुख्य वजह है कि योजना का डिजाइन मनमाने ढंग से बदल दिया गया और जो पाइप डाले गए वह घटिया क्वालिटी के थे। इस योजना से सिंचाई नहीं हो रही है, लेकिन विधानसभा में मुख्य अभियंता यमुना कछार, ग्वालियर ने झूठी जानकारी दी है।पिछले साल बाढ़ की स्थिति बनने के बाद मुख्य अभियंता ग्वालियर को 100 करोड रुपये का बजट अलग से कार्य करने के लिए दिया गया था। लेकिन 80 प्रतिशत बजट पुराने कामों में खर्च हुआ दिखा दिया गया है।