भोपाल। पिछली बार विवादों के चलते नहीं बिक पाए दो साल पुराने गेहूं को ठिकाने लगाने अब राज्य सरकार ने अपनी पॉलिसी बदल दी है। अब एक साथ पूरा गेहूं बेचने के बजाय इसके सत्तर लॉट बनाकर टेंडर जारी किए गए है। इसके लिए ग्लोबल टेंडर जारी कर छह सितंबर तक गेहूं खरीदने वाली एजेंसियों से प्रस्ताव बुलाए गए है।

 राज्य सरकार ने  वर्ष 2019-20 में खरीदे गए 6 लाख 45 हजार क्विंटल गेहूं को बेचने के लिए पिछली बार टेंडर जारी किए तो उसमें रखी गई टेंडर शर्तोें के चलते तकनीकी और फाइनेंशियल बिड में केवल एक कंपनी ही मैदान में शेष रह गई थी। टेंडर शर्तों को लेकर शिकायतें भी हुई थी कि शर्तें ऐसी रखी गई जिसमें चुनिंदा कंपनियां ही गेहूं खरीद पाए। आरोप तो आईटीसी जैसी कंपनियों को उपकृत करने के भी लगे थे। शिकायत के बाद पिछले टेंडर नागरिक आपूर्ति निगम को निरस्त करने पड़े थे।

अब दुबारा ऐसी समस्या नहीं आए और शिकायतों पर लगाम लगाने के लिए नागरिक आपूर्ति निगम ने इस बार एक के बजाय सत्तर लाट बनाकर टेंडर जारी किया है। इसमें छोटे-बड़े सभी व्यापारी, एजेंसियां खरीदी में शामिल हो सकेंगे। नए टेंडर में ऐसे सभी व्यापारी टेंडर में शामिल हो सकेंगे जिनके पास मंडी का लाइसेंस हो।

1840 रुपए क्विंटल की दर से वर्ष 2019-20 में खरीदा गया गेहूं को बेचने के लिए सरकार ने इस बार कीमत बढ़ा दी है। पिछले टेंडर में नागरिक आपूर्ति निगम ने रिजर्व प्राइज 1580 रुपए प्रति क्विंटल रखी थी इस बार इसमें दस रुपए का इजाफा कर दिया है। अब 1590 रुपए किवंटल की रिजर्व प्राइज रखी गई है। इससे कम दरों के प्रस्ताव आने पर गेहूं नहीं बेचा जाएगा। दर इसलिए भी बढ़ाई गई है ताकि यह दिखाया जा सके कि पिछले बार से ज्यादा राशि इस बार टेंडर में प्राप्त होगी। हालाकि इस गेहूं के परिवहन और भंडारण पर राज्य सरकार को काफी राशि खर्च करना पड़ी है।

राजय सरकार ने वर्ष 2019-20 में 72 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं खरीदा था। केन्द्र सरकार ने 66 लाख मीट्रिक टन गेहूं ले लिया थ। लेकिन पूर्व कांग्रेस सरकार ने जय किसान समृद्धि योजना के नाम पर किसानों को 160 रुपए प्रति क्विंटल के मान से प्रोत्साहन राशि भी दी थी। अनुबंध के उल्लंघन के कारण कारण केन्द्र ने 6 लाख 45 हजार टन अधिक खरीदा गया गेहूं सेंट्रल पूल में लेने से इंकार कर दिया था। इसलिए राज्य सरकार को अब इस गेहूं को खुले बाजार में बेचना पड़ रहा है। इसके लिए जून 2021 में एक-एक लाख टन के दो लाट बनाकर दो लाख टन गेहूं नीलाम करने निविदा बुलाई गई थी। इसमें सौ करोड़ के वार्षिक टर्नओवर वाली कंपनियों को भी टेंडर में भाग लेने की शर्त रखी गई थी। इसके कारण आईटीसी सहित तीन कंपनियां ही निविदा में शामिल हुई और अंतिम रूप से केवल आईटीसी ही मैदान में शेष बची। शिकायत के बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली साधिकार समिति ने टेंडर निरस्त कर फिर से टेंडर जारी करने को कहा था।

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