भोपाल । प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अब सेवानिवृत्त चिकित्सकों की सेवाएं मानसेवी चिकित्सक के रूप में नहीं ली जाएंगी। राज्य सरकार ने इस संबंध में तेरह साल पहले जारी किया गया आदेश निरस्त कर दिया है।

प्रदेश में चिकित्सकों की कमी को देखते हुए राज्य सरकार ने तेरह साल पहले नौ फरवरी 2010 को एक आदेश जारी कर सेवानिवृत्त चिकित्सकों की सेवाएं मानसेवी चिकित्सक के रुप में लिए जाने के लिए आदेश जारी किए थे। प्रदेश में जहां जहां चिकित्सकों की कमी हो रही थी वहां इन मानसेवी चिकित्सकों की तैनाती की गई थी।

स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव राकेश श्रीवास्तव ने एक आदेश जारी कर तेरह साल पहले जारी इस आदेश को निरस्त कर दिया है। उन्होंने अपने आदेश में कहा है कि शासकीय कर्मचारियों और उनके आश्रितों की चिकित्सा प्रतिपूर्ति की व्यवस्था में पारदर्शिता के लिए मानसेवी चिकित्सकों की सेवाएं लेने हेतु शासन के 9 फरवरी 2010 में रिटायर्ड चिकित्सकों की मानसेवी चिकित्सकों के रुप में  सेवाएं लेने के आदेश को निरस्त किया जाता है।

अब क्यों जरुरत नहीं
आदेश में बताया गया है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा शासकीय चिकित्सालयों में चिकित्सीय अमले कीि कमी के निराकरण हेतु विभिन्न कदम उठाए जा रहे है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की सीधी भर्ती, राष्टÑीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत निरंतर वॉक इन चिकित्सकों की पदस्थापना,सेवारत चिकित्सकों का स्नातकोत्तर अध्ययन हेतु विभागीय नामांकन एवं अधिभार  अंको की अदायगी, सेवारत चिकित्सकों का आयुर्विज्ञान  में राष्टÑीय परीक्षा बोर्ड एनबीईएमएस द्वारा संचालित पीजी डिप्लोमा एवं सीपीएस पीजी डिप्लोमा में प्रत्यायित सीटों के लिए स्पांसरशिप तथा डिस्ट्रिक रेसिडेंसी कार्यक्रम अंतर्गत विशिष्ट विधाओं के विशेषज्ञों की जिला अस्पतालों में त्रैमासिक पदस्थाी की जा रही है। इसलिए अब सेवानिवृत्त चिकित्सकों की सेवाएं मानसेवी के रुप में लेने की आवश्यकता नहीं है।