भोपाल । मध्य प्रदेश (MP) के सरकारी अस्पतालों के 10 हजार से अधिक डॉक्टर्स आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे। चिकित्सक हड़ताल के दौरान न तो इमरजेंसी सेवाएं देंगे और न ही पोस्टमार्टम (PM) करेंगे। शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के आह्वान पर की जा रही इस हड़ताल से अस्पतालों में व्यवस्थाएं प्रभावित होने की संभावना है।
विदित हो कि दिन पहले मध्यप्रदेश में डॉक्टरों की हड़ताल के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं अति आवश्यक सेवाओं के अंतर्गत हैं और इनमें अवरोध नहीं आए।
श्री चौहान देर रात मुख्यमंत्री निवास से वीसी के माध्यम से सभी जिलों के कलेक्टर्स और कमिश्नर्स को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. सुदाम खाड़े और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
बता दें कि शासकीय एवं स्वशासी चिकित्सा महासंघ के प्रमुख संयोजक डॉ. राकेश मालवीय ने बताया कि सरकारी डॉक्टर्स लम्बे समय से केंद्र के समान डीएसीपी (समयबद्ध पदोन्नति) और प्रशानिक अधिकारियों का हस्तक्षेप कम करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया, इसलिए चिकित्सकों को हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि चिकित्सक महासंघ के पदाधिकारियों की मंगलवार को गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी सहित अधिकारियों के साथ बैठक हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकला। आंदोलन को देखते हुए स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने वैकल्पिक व्यवस्था की है। इस दौरान निजी मेडिकल कालेज और नर्सिंग होम्स की मदद ली जाएगी। जरूरत पर सरकारी मेडिकल कालेजों से संबद्ध अस्पतालों के गंभीर रोगियों को निजी मेडिकल कालेजों में भेजा जाएगा।
यह हैं प्रमुख मांगें
केंद्र सरकार, बिहार और अन्य राज्यों की तरह प्रदेश के चिकित्सकों के लिए डीएसीपी योजना का प्रावधान हो। स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग और ईएसआई की वर्षों से लंबित विसंगतियां दूर की जाएं। चिकित्सकीय विभागों में तकनीकी विषयों पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप दूर किया जाए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत संविदा चिकित्सकों (एबीबीएस) की एमपीपीएससी के माध्यम से की जाने वाली नियुक्ति/ चयन प्रक्रिया में प्रतिशत परिधि को समाप्त कर संशोधन किया जाए। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ग्रेजुएशन के बाद ग्रामीण सेवा बॉन्ड राशि को कम किया जाए और ट्यूशन फीस भी कम की जाए जो देश में सबसे अधिक है। विभाग में कार्यरत समस्त बंधपत्र चिकित्सकों का वेतन समकक्ष संविदा चिकित्सकों के समान किया जाए।
चिकित्सा शिक्षा। आयुक्त जान किंग्सले का कहना है कि सरकारी सेवा में रहते हुए पीजी के लिए आने वाले जूनियर डॉक्टर, इंटर्न डॉक्टर काम करेंगे। निजी मेडिकल कालेज के डॉक्टरों को बुलाया जाएगा। आवश्यकता के अनुसार रोगियों को निजी मेडिकल कालेजों में भी भेजेंगे। नर्सिंग होम्स की सेवाएं ली जाएंगी। बंधपत्र वाले चिकित्सकों ने आंदोलन किया तो उनकी बंधपत्र की अवधि अधूरी मानी जाएगी।